*युवा शिक्षक दिनेश वैष्णव के जज्बे ने बदल दी एक गांव के स्कूल की सूरत, बच्चों में भी शिक्षा के प्रति अलख जगाया*
*कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों…!* इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है केकड़ी क्षेत्र के एक छोटे से गांव मण्डा की सरकारी मिडिल स्कूल के शिक्षक दिनेश वैष्णव ने। दिनेश वैष्णव ने अभी 6 माह पूर्व ही 5 जून 2018 को इस स्कूल में कार्यभार ग्रहण किया था। जब उन्होंने कार्यभार ग्रहण किया तब स्कूल भवन जीर्ण शीर्ण अवस्था में था वहीं स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की हालत भी अच्छी नहीं थी। लेकिन इस युवा शिक्षक ने इन छह महीनों में सरकारी स्कूल की सूरत ही बदल दी वहीं पढ़ने वाले बच्चों का रहन सहन ही बदल गया। बच्चे साफ सफाई पर ध्यान देने लगे। बच्चे रोजाना नहा धोकर साफ सुथरी यूनिफॉर्म पहनकर स्कूल आने लगे, बच्चों में शिक्षा के प्रति लगाव बढ़ने लगा। शिक्षक दिनेश वैष्णव ने सबसे पहले जनसहयोग से जीर्ण शीर्ण स्कूल भवन की मरम्मत करवाकर रंग रोशन करवाया। गांव के जरूरतमंद बच्चों को स्टेशनरी, शिक्षा की ओर ध्यान आकर्षित करने वाले खिलौने, गणवेश व स्वेटर आदि उपलब्ध करवाए। वहीं बच्चों को साफ सुथरा रहने के लिए प्रेरित किया। कुछ दिनों बाद ही बच्चों का रहन सहन ही बदल गया। शिक्षक दिनेश ने स्वयं अपने खर्च पर स्कूल के एक कक्षा कक्ष को शिशु वाटिका के रूप में विकसित किया ताकि छोटे छोटे बच्चों में शिक्षा के प्रति अलख जगा सकें। उन्होंने इस सरकारी स्कूल की सूरत एक निजी स्कूल की तरह बदल दी। स्कूल की हर कक्षा में ब्लेक बोर्ड की जगह व्हाइट मार्कर बोर्ड लगाए गए। बच्चे जहां जमीन पर बैठते थे उनके बैठने के लिए ग्रीन मेटिंग बिछाई गई। कक्षा के बाहर बरामदे को भारत दर्शन गलियारे के रूप में विकसित किया गया है ताकि बच्चों को भारत की पहचान हो सके। कक्षा कक्षों के बाहर खाली दीवारों सहित गलियारे में देश से जुड़ी प्रमुख बातों का समावेश किया गया है। इसमें भारत के गौरव की श्रृंखला में महापुरुषों के चित्र व वॉल पेंटिंग्स के रूप में भारत के गौरवशाली इतिहास की जानकारी जैसे राष्ट्रगीत, राष्ट्रगान, नदियों के उद्गम स्थान, विभिन्न राज्यों की राजधानी, वहां की भाषा महत्वपूर्ण दिवस जैसी कई जानकारियों का समावेश किया गया। बरामदे के पिलर्स पर राष्ट्रीय प्रतीक, ध्वज, चिन्ह, पशु, पक्षी, वृक्ष तथा खेलकूद के चित्र वॉल पेंटिंग्स के रूप में उकेरें गये हैं। इसके अलावा जनसंख्या, क्षेत्रफल, साक्षरता, लिंगानुपात, स्थलीय व जलीय सीमा, पड़ोसी देश, राजधानियां व ऐतिहासिक इमारतों से सम्बंधित जानकारियां भी समावेश की गई है। इसी प्रकार बच्चों में हाजरी के समय यस सर जैसी संस्कृति के स्थान पर वन्देमातरम का सम्बोधन शुरू किया गया है। इस स्कूल के जीर्णोद्धार में प्रधानाध्यापक भगवान लाल जाट सहित अन्य शिक्षकों का भी सहयोग सराहनीय है। वहीं स्कूल के विकास के लिए भामाशाह भी आर्थिक मदद कर रहे हैं जिनके सहयोग से स्कूल को 77840 रुपये का अब तक मिल चुके हैं। कहते हैं न कि इरादे नेक हों और कुछ करने का जज्बा दिल मे हो तो मुश्किल से मुश्किल काम को भी आसानी से किया जा सकता है। शिक्षक दिनेश के जज्बे को प्रणाम है उनकी जितनी तारीफ की जाए कम होगी। दिनेश को ये सुसंस्कार अपने परिवार से मिले हैं। यही वजह है कि वे ग्रामीण परिवेश के बच्चों को भी संस्कारवान बनाने के लिए कुशलतापूर्वक कार्य कर रहे हैं। दिनेश केकड़ी निवासी बिरदीचंद वैष्णव के सुपुत्र हैं। बिरदीचंद वैष्णव ने शारीरिक शिक्षक के रूप में विभिन्न स्कूलों में अपनी कुशल कार्यशैली से गांवो के स्कूल के बच्चों में खेल के प्रति रुचि बढ़ाई वहीं शिक्षा के प्रति भी अलख जगाया। आज दिनेश वैष्णव अन्य स्कूलों के लिए भी प्रेरणा नायक बन गए हैं।
तिलक माथुर
*केकड़ी_ अजमेर*
*9251022331*