
अजमेर। राजस्थान के जाने माने शिक्षाविद श्री हनुमान सिंह राठौड़ ने विषय पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सम्पूर्ण सृष्टि में किसी भी उत्सव व त्यौहार को मनाने के पीछे उसकी एक स्मृति एवं इतिहास छिपा होता है। बिना स्मृति के मनाया गया कोई उत्सव महत्ता नहीं रखता क्योंकि दर्शन का मूल आधार सृष्टी की रचना एवं उसकी उत्पत्ति से है तथा भारतीय काल गणना ही विश्व एक ऐसी काल गणना है जिसके आधार पर सृष्टि की उत्पत्ति का वैज्ञानिक आधार बनता है।

नव संवत्सर पर स्वामी कॉम्पलेक्स में आयोजित संगोष्ठी के अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए श्री हनुमान सिंह राठौड़ ने बताया कि भारतीय ऋषि मुनियों ने ब्रह्माण्ड के बाहरी आवसर की ओर ज्यादा ध्यान लगाते हुए अपनी सीमाओं का ध्यान रखते हुए मनुष्य के अन्तरिक अवरण पर ध्यान लगया वहीं से यह निष्कर्ष निकला कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के गर्भ में जो छिपा है वह समस्त एक मनुष्य के आन्तरिक शरीर में बसा हुआ है।
उन्होने काल गणना की वैज्ञानिकता की प्रमाणिकता देते हुए बताया कि विश्व की महाशक्ति अमेरिका में स्थित नासा जैसी संस्था ने भी भारतीय पंचांग पर एक शोद्य कार्यालय स्थापित किया हुआ है। जिसके आधार पर वह सम्पूर्ण अन्तरिक्ष की रचना एवं उसके आकार पर शोद्य कर रहा है क्योंकि भारतीय पंचांग के द्वारा सैकड़ो वर्ष आगे तक के सूर्य ग्रहण, चन्द्र ग्रहण, ज्वार भाटा आदि का निश्चिय किया जा सकता है। उन्होने नव संवत्सर के सांस्कृतिक महत्व को बताते हुए कहा कि सम्पूर्ण विश्व में हिन्दू नव संवत्सर का अपना एक महत्व है। क्योंकि इस समय पर सम्पूर्ण प्रकृति में नयापन आता है पेड़-पौधे अपना नया आकार लेते है। सम्पूर्ण जगत धन-धान्य से भरपूर होता है एवं जनमानस में नयी शक्ति का संचार होता है। उन्होने कहा कि हमें अन्य देशों की अच्छी बातों का समावेश करना चाहिए। जबकि हम विश्व की सभी बुराईयो का समावेश कर रहे है। अंगेंजी कलेण्डर कर नया वर्ष 31 दिसम्बर की आधी रात को शुरू होता है जिस समय सूर्य अस्त रहता है। इस अवसर पर उन्होने उपस्थित युवावर्ग को यह आव्हान किया कि हमें अपनी विकृतियों को छोड़कर नव सर्जन की ओर बढ़ना चाहिए। अंधेरे के नये साल की जगह प्रकाशमय नववर्ष को मनाना चाहिए क्योंकि विवेकानन्द ने कहा है कि युवा वर्ग में इतिहास बोध होना जरूरी है तभी वह दर्शन के मूल आधार को समझ सकेगा। संगोष्ठी का मूल उद्देश्य जनमानस में नव संवत्सर के प्रति जागृति पैदा करना, हमारे संस्कृति को जिवित रखना एवं सांस्कारित परिवार की ओर बढ़ना है। यह काल आज का युवा ही कर सकता है।

कार्यक्रम की शुरूआत मां भारती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के द्वारा हुई तत्पश्चात राष्ट्रीय गीत वन्देमातरम् का गान किया गया। कार्यक्रम में बीकानेर कृषि विश्वविद्यालय के शिक्षाविद श्री गजेन्द्र सिंह शक्तावत विशिष्ट अतिथि थे कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री सुनीलदत्त जैन ने की। इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत किया गया एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालन एवं संयोजन शरद गोयल ने किया। इस अवसर पर उपमहापौर श्री अजीत सिंह राठौड़, विधि महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य श्री राधेश्याम अग्रवाल, डॉ एस.के. अरोड़ा, भारत विकास परिषद के श्री रामचन्द्र शर्मा, डॉ. एम.डी. दाधीच, देवीलाल दग्दी, अजीत मारोठिया, इसर भम्भानी, आनन्द सिंह राजावत, अरविन्द शर्मा, रंजन शर्मा, अश्वनी सहित शहर के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
-शरद गोयल
कार्यक्रम संयोजक
मो. 9414002132