पीयूष राठी, केकड़ी, शहर में इन दिनों पशु एवं तेजा मेले की धूम हैं। मेले को लेकर ही नगरपालिका प्रशासन द्वारा अनेकों रंगारंग कार्यक्रम इन दिनों शहर में आयोजित करवाये जा रहे हैं। इसी कड़ी में गुरूवार रात्री नगरपालिका रंगमंच पर विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस कवि सम्मेलन में लाफ्टर शौ फैम कवि सुरेश अलबेला के साथ ही देश के ख्यातिप्राप्त कवियों ने अपने काव्यपाठ से उपस्थित लोगों को ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया।
कवि सम्मेलन की शुरूआत यूपी की कवियित्री स्वेता सरगम ने सस्वती वंदना के साथ करी। इसके बाद कविसम्मेलन में काव्यपाठ करने हास्यरस के मशहूर कवि राकेश शर्मा बदनावर पहुंचे। शर्मा ने हास्यरस के एक से बढ़ कर एक ऐसे व्यंग कसे कि उपस्थित श्रोतागण अपनी हंसी को रोक ना पाये। इसके बाद श्रौताओं को राजस्थानी भाषा के व्यंग व अपने शरीर के हिस्सों की रचना बताते हुए हंसाने वाले हास्यरस के कवि राजकुमार बादल ने काव्यपाठ किया। बादल ने उपस्थित सभी कवियों को अलग-अलग मोबाईल कंपनियों का पीस बताते हुए स्वयं को टाटा का फोना बताते हुए कहा कि जितने सिक्के डालो बात करो अर्थात जितनी ताली बताओगे उतने ही अच्छे व्यंग कसंूगा। इसके बाद यूपी से आई कवियत्री स्वेता सरगम ने श्रंगाररस के कुछ ऐसे गीत गुनगुनाऐ कि पूरा समां प्रेम-प्यार की सहरों में गोते लगाने लगा और इसी प्रेम प्यार के समां से श्रौतागण निकल पाते इससे पूर्व ही कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे कवि बुद्धिप्रकाश दाधीच ने केकड़ी क्षेत्र से ताल्लुख रखने वाले व केकड़ी में ही पले बढ़े वीर रस के कवि अशोक चारण को काव्य पाठ करने बुला लिया। श्रंगाररस में डूबे श्रौतागणों ने ज्यों ही वीररस के इस ओजस्वी कवि को सुना तो उनके रोम रोम में जोश व देशभक्ति की भावना भर गई। चारण ने अपने जोशीले अंदाज में अपने काव्यपाठ की शुरूआत ”संतो के उपदेश सुनने के लिये यह देश इक्कठा नहीं हुआ,राजनेताओं ने पैसे लुटाऐ मगर देश इकठ्ठा नहीं हुआ,अद्र्धनग्न बालाओं का चौराहो पर नाच कराया गया मगर देश इकठ्ठा नहीं हुआ मगर दिल्ली के रामलीला मैदान में एक 72 साल के अन्ना हजारे ने खड़े होकर आवाज दी तो ये देश इकठ्ठा हो गयाÓÓ से की। इसके साथ ही देश की स्थिति,घोटालों और चीन द्वारा गुसपेठ किये जाने पर भी चारण ने एक से बढ़ कर एक कविता प्रस्तुत की। वहीं चारण ने ज्यो ही एक कविता में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिये कहा कि ÓÓमोदी को गुजरात छोड़कर दिल्ली जाना ही होगाÓÓ तो उपस्थित हजारों की तादात में लोगों की तालियों की गडग़ड़ाहट से पूरा समां गूंज उठा। चारण के बाद हास्यरस में अपना अनौखा नाम रखने वाले सवाईमाधोपुर के ताउ शेखावाटी ने कई रचनाऐं पेश कर वाहवाही लूट और हंसी के फंवारे श्रोतागणों में फूट पड़े। कवि सम्मेलन में दिल्ली के योगेन्द्र मोादगील ने भी अपनी रचनाऐं प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी। इसके बाद कवि सम्मेलन को उंचाईयों पर पहुंचाने के लिये लाफ्टर शौ फैम सुरेश अलबेला अपना काव्य पाठ करने माईक पर पहुंचे और आते ही उन्होने अपने अंदाज में हास्यरस की कई रचनाऐं प्रस्तुत की। हालांकि कवि सम्मेलन में मुख्य आकर्षण का केन्द्र सुरेश अलबेला ही थे मगर जिस बात के लिये उन्हे जाना जाता हैं ऐसा शुक्रवार को आयोजित कवि सम्मेलन में देखने को नहीं मिला। श्रौतागण काफी उत्साह के साथ अलबेला के काव्यपाठ का इंतजार कर रहे थे मगर अलबेला की प्रस्तुती के बाद श्रौतागण निराश ही नजर आये। अलबेला की प्रस्तुती के बाद ही लगभग आधे से अधिक श्रोतागण कवि सम्मेलन से उठकर रवाना हो लिये मगर इसके बाद भी कवि सम्मेलन को शीर्ष तक पहुंचाया आगरा से आये मशहूर गीतकार रामेन्द्र त्रिपाठी ने,त्रिपाठी ने गीत ”हमने तो पूरी कोशीश की नहीं मिली तो नहीं मिली,इश्कन-इश्कन हवा चली गुल से लिपट गई तितली” प्रस्तुत कर उपस्थित सभी श्रोतागणों को मंत्रमुग्ध कर दिया,श्रौताओं त्रिपाठी के इन गीतों में कुछ ऐसे डूबे थे कि वे यह तक भूल गये कि भोर हो चुकी हैं और सवेरा होने में कुछ ही समय बचा हैं। बहरहाल इसके बाद कविसम्मेलन का संचालन कर रहे कवि बुद्धिप्रकाश दाधीच ने भी कुछ रचनाऐं व गीत प्रस्तुत कर कवि सम्मेलन के समापन की घोषणा की। भोर तक चले इस कार्यक्रम में लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा था,बहरहाल ऐसा होना लाजमी भी हैं क्यों कि काफी समय बाद केकड़ी शहर में व्यापक स्तर पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
