अजमेर। सर्वधर्म समन्वय मंच अजमेर की तरफ से स्वामी विवेकानन्द जी पर एक संगोष्ठी “वर्तमान परिपेक्ष्य में स्वामी विवेकानन्द के विचारों की प्रासंगिकता“ विषय पर स्वामी कॉम्पलेक्स अजमेर में रखी गयी। जिसमें अजमेर शहर के जाने पहचाने शिक्षाविद श्रीमान हनुमान सिंह राठौर ने अपने विचार रखते हुऐ कहा कि व्यक्तित्व निमार्ण में विवेकानन्द के विचार महत्वपूर्ण हैं युवा ही विवेकानन्द जी के युवा मन को समझ सकता है धर्म पूजा पद्धति से भिन्न है धर्म एक होता है सत्य एक है सत्य धर्म है। स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा कि सर्वप्रथम राष्ट्र का कल्याण हो फिर व्यक्ति कल्याण हो सेवा का काम संतों को करना चाहिए और संतों को भौतिकवाद से दूर रहना चाहिये आज के युग में सत्य कथन करने वाले युवा चाहिए जो राष्ट्र के लिए चिंतन करे मनन करे आज के परिप्रेक्ष्य में विवेकानन्द के विचारों की सार्थकता प्रश्न ही गलत है क्यों कि स्वामी विवेकानन्द के विचारों की प्रासंगिकता आज की के युग में ज्यादा है जब युवाओं के मन में भटकाव है वो भौतिकतावादी चीज़ों की तरफ दौड़ रहे हैं। आयतित चीजों को प्राथमितकता दी जा रही है और और स्वेदशी वस्तुओं का त्याग किया जा रहा है वही स्वदेशी वस्तु विदेश जाकर पुनः भारत में आती है तो हम उसका स्वागत करते है। परन्तु जब देश में होती है तो उसको कोई महत्व नहीं मिलता। शिक्षा का स्तर भी सामन्तवादी होता जा रहा है। लोग ज्यादा से ज्यादा डिग्री लेने वाले को तो शिक्षित कहते हैं लेकिन जिसमें नैतिकता ना हो राष्ट्र के प्रति प्रेम ना हो राष्ट्रीय विचारधारा ना हो वो कहां से शिक्षित कहलाएगा। स्वामी विवेकानन्द जी ने जो विवेकानन्द केन्द्र खोले उनको उद्देश्य भी यही था कि प्यासा कुएं के पास ना जाये कुआ खुद प्यासे के पास आ जाये।
आज के युग में धर्म, जाति वर्ग विभेद को भूलकर स्वामी विवेकानन्द के बताऐ रास्तों पर चलने की आवश्यकता है। व्यक्ति को अपने समाज व राष्ट्र निर्माण के बारे में कार्य करने की आवश्यकता है।
संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुऐ झंुझूनु से पधारे डॉ. जुल्फेकार अहमद ने बताया कि वो राजस्थान में प्रथम मुस्लिम व्यक्ति है जिन्होंने स्वामी विवेकानन्द जी पर शोध कर पी.एच.डी. की वर्तमान में झुंझूनु में व्याख्यता के पद पर कार्यरत हैं आपने कहा कि स्वामी विवेकानन्द की तुलना आदि शंकराचार्य से की जा सकती है। जिन्होंने समाज व राष्ट्र उत्थान के लिए अपना सर्वत्य निछावर कर दिया। उन्होंने अपने स्मरण में बताया कि बांगलादेश में स्वामी रामकृष्ण परमहंस मठ में जहां मुस्लिम बच्चे कुरान की आयते पढ़ते हैं तो कुछ बच्चे गीता के श्लोक पढ़ते हैं। भारत में यही ऐसा हो जाये तो मेरा भारत वाक्य महान बन जाऐ। भारत में आज सबसे बड़ी कमी जो नज़र आती है वो युवाओं में राष्ट्रीय चिंतन की कमी है व्यक्ति स्वयं व परिवार के बारे में तो बहुत सोचता हेै लेकिन कोई विवकानन्द जी को पढ़ना और समझना नहीं चाहता। उन व्यक्तियों के बारे में जानना नहीं चाहता जिन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र के प्रति समर्पित कर दिया। यदि व्यक्ति मंदिर मस्जिद के झगड़े छोडकर भारतीयता की बात करे तो भारत की आधे से ज्यादा परेशानी स्वयं दूर हो जायेगी। यदि युवा स्वामी विवेकानन्द जी के विचारों को समझ जाये तो उसका जीवन सार्थक बन जाऐ।
कार्यक्रम के संयोजक सैयद इब्राहीम फखर थे सहसयोजक अनीश मोयल व स्टीफन सेमसन थे। कार्यक्रम की शुरूआत में विवेकानन्द जी पर गीत श्वेता दीदी जो कि विवेकानन्द केन्द्र से थी ने प्रस्तुत किया तथा भारत माता के चित्र पर अतिथियों ने माल्यापर्ण किया। अन्त में अतिथियों को स्मरण चिन्ह् शफी बख्श, कंवल प्रकाश किशनानी ने दिये। तथा घन्यवाद आनन्द सिंह राजावत ने ज्ञापित किया। कार्यक्रम में मुख्य तौर पर प्रो. बी.पी. सारस्वत, सम्मान सिंह जी, रोशन पठान, मोहम्मद शफीक खान, मोहम्मद आसान, मोहम्मद अमान, श्रीमती लिलीयन ग्रेस, श्रीमती प्रमीला सिंह आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अनीश मोयल ने किया।
