निर्यातकों के वास्तविक निर्यात आंकड़ों और बैंकों को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों में गड़बड़ी पर चिंता जताते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने अब इस पर लगाम लगाने का इरादा जताया है। निर्यात की निगरानी के लिए आरबीआइ ऑटोमेटिक और एकीकृत डाटा प्रोसेसिंग और मॉनिटरिंग सिस्टम स्थापित करने जा रहा है।
इस नए सिस्टम का इस्तेमाल निर्यातकों और अन्य इकाइयों के फर्जीवाड़े के गंभीर मामलों का पता लगाने में किया जाएगा। साथ ही इसे कार्रवाई के लिए सीमा शुल्क और उत्पाद कर विभागों को सौपने में किया जाएगा। पिछले कुछ समय में कई आयात-निर्यात फर्मे राजस्व खुफिया महानिदेशालय (डीआरआइ) और अन्य वित्तीय खुफिया एजेंसियों की निगरानी के दायरे में आई हैं। इन फर्मो ने अपने उत्पादों और उनकी कुल कीमत के संबंध में गलत जानकारियां दी हैं।
मौजूदा सिस्टम के तहत निर्यात के आंकड़ों की निगरानी आमतौर पर निर्यातकों के घोषणा पत्र के जरिये ही की जाती है। इस व्यवस्था के तहत निर्यातक अपने उत्पादों के निर्यात के समय वैधता प्रमाण-पत्र हासिल करने के लिए सीमा शुल्क अधिकारियों को जानकारी उपलब्ध कराते हैं। उत्पादों का निर्यात होने के बाद निर्यातक अपने फॉरेक्स डीलर बैंक को अधिकृत फार्म भरकर निर्यातित वस्तुओं की कीमत और संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराते हैं। इसके बाद बैंक आरबीआइ को सौदों की जानकारी उपलब्ध कराते हैं