इस बीच दरगाह कमेटी ने माना है कि पहले घड़याली का कार्य करने वाला हिन्दू था। कमेटी ने यह भी माना है कि यह पद वशांनुगत है, लेकिन वर्तमान घड़याली मुस्लिम कैसे हुआ, इसके कोई प्रमाण कमेटी के पास नहीं है।
दरगाह कमेटी की ओर से मौरूसी अमले के एक सदस्य को सूचना के अधिकार में उपलब्ध कराए गए रिकॉर्ड के अनुसार वर्ष 1909 में रामचंद्र के पुत्र घीसूलाल घड़याली के पद पर कार्यरत थे। कमेटी के पास हालांकि इससे पहले का प्रमाण मौजूद नहीं है, लेकिन कमेटी ने जवाब में यह कहा है कि घड़याली का पद सर्विस रूल 1977 की धारा 4-डी के तहत वंशानुगत है। इस हिसाब कहा जा सकता है कि घीसूलाल से पहले उसके पूर्वजों ने यहां घड़याली का कार्य किया होगा।
अनुकंपा पर बताया
वर्तमान घड़याली कोवर्तमान में घड़याली का कार्य कर रहे उस्मान खां को दरगाह कमेटी ने अनुकंपा पर नियुक्ति दिया जाना बताया है। हालांकि कमेटी के पास यह रिकॉर्ड नहीं है कि घीसूलाल के बाद घड़याली के रूप में मुस्लिम की नियुक्ति कब और क्यों हुई।
क्या है विवाद
दरअसल मौरूसी अमले में किसी बात को लेकर दो फाड़ हो गई। एक गुट के सदस्य उस्मान घड़याली ने अलग से एसोसिएशन बना लिया। इससे नाराज दूसरे गुट के सदस्य मुजफ्फर भारती ने दरगाह कमेटी से घड़याली की नियुक्ति से संबंधित दस्तावेज आरटीआई के तहत मांगे हैं।
मुज़फ्फर भारती
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