शराब व बारें बन्द रहेंगी क्यों ?

IMG-20150721-WA0280अजमेर जिले में आज मंगलवार को अंग्रेजी व देशी शराब की दुकानें व बारें बन्द रहेंगी, शराब ठेकेदारों ने जिला पुलिस पर बेवजह परेशान करने का आरोप लगाते हुए विरोध में बन्द करने का ऐलान किया है।
प्रश्न यह है कि क्या आबकारी अधिनियम में क्या कोई परिवर्तन हो गया है ? आबकारी नियमों में क्या कोई फेरबदल हो गई है ? दुकानें खुलने बन्द होने के समय में परिवर्तन हो गया है तो ऐसी क्या वजह हो गई जो शराब ठेकेदारों को हड़ताल करनी पड़ी। कुछ समय पहले शराब के ठेकेदार आर.एस.बी.सी.एल. की निर्धारित मूल्यों से कहीं ज्यादा पैसे शराब के एक समूह बनाकर ओवर रेट लेते थे, जिसमें आम उपभोक्ता को चूसा व पीसा जा रहा था, शराब की दुकानें खुलने व बन्द होने का कोई समय नहीं था। सारी-सारी रात दुकानों पर शराब उपलब्ध रहती थी, दुकान की पिछली खिड़की या दरवाजों से शराब की बिक्री जारी रहती थी।
शराब की दुकानें अघोषित बारें बनी हुईं थीं जो कि कानूनी रूप से अवैध थीं जहां बैठाकर शराब पिलाने की सुविधा थी और सोडा, पानी, नमकीन व सिगरेट सहज रूप से उपलब्ध थे, इसमें आबकारी विभाग व पुलिस विभाग की पूरी सरपरस्ती थी, दोनों अपनी नियमित मोटी चौथ वसूली करते थे शिकायत होने पर भी कोई कार्यवाही नहीं करते केवल मात्र दिखावे के लिये नूराकुश्ती होती थी।
अब इस सारे खेल तमाशे में एक परिवर्तन हुआ, पुलिस कप्तान बदल गया, उसने आते ही सारे नियम और कानून लागू कर दिये। इससे पुलिस विभाग, आबकारी विभाग और ठेकेदारों के पेट में मरोड़ पड़ गई। सारी अवैध गतिविधियों पर अंकुश लग गया। दोनों विभागों की अवैध कमाईयां बन्द हो गईं। एक सोची-समझी नीति के तहत आज की यह हड़ताल करवाई गई, ताकि पुलिस कप्तान पर दबाव बनाया जा सके, और वापस वो ही रासलीला पुनः चालू हो सके। क्यों कि पिछले महीने के पैसे जो मंथली विभागों को दी जाती थी वो ठेकेदार देने को राजी नहीं हैं क्यों कि ‘‘जब सुविधा ही नहीं है, तो सुविधा का शुल्क कैसा ?‘‘ इसलिये पुलिस विभाग के कुछ ब्लू-आईड-ब्वॉइज (नीली आंखों वाले बालकों) ने ठेकेदारों से मिलकर यह सब्जी पकाई और आबकारी विभाग ने इसमें तड़का लगाया क्यों कि कानून को लागू करना और नियमानुसार कार्यवाही करना दोनों विभागों को रास नहीं आ रहा है पिछली पुलिस कार्यप्रणाली कोे पुलिस वाले भुला नहीं पा रहे हैं वो स्वाद अभी भी बाकी है जाते-जाते ही जायेगा। यह विभागों की मिलीभगती से हड़ताल करवाने और राजस्व की हानि करने की गलत परम्परा पड़ रही है जो आने वाले समय में सरकार के लिये दुखदायी होगी। इस पर राजहित में अंकुश लगना चाहिये।
राजेश टण्डन वकील, अजमेर।

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