जी हा हिन्दुओ की पावन तीर्थ स्थली इन दिनों विकास की और अग्रसर हो रखी हे। करोड़ो रूपये विभिन्न मन्दो से विकास कार्यो के लिए आ रहे हे और आये दिन घोषणा भी होती जा रही हे की पुष्कर के विकास के लिए इतने करोड़ रूपये का बजट पास हुआ हे ।आये दिन विकास के करोड़ो रूपये आने के बाद भी आज तीर्थ नगरी की जमकर दुर्दशा हो रखी हे अंतराष्ट्रीय ख्यति प्राप्त पुष्कर मेले के मात्र चंद दिन शेष बचे हे उसके बावजूद किसी ने भी पुष्कर की दुर्दशा की सुध लेना मुनासिब नही समझा बस कागजो और बेठको में पुष्कर मेले की तेयारियो को अंतिम रूप दें रहे हे लेकिन किसी भी आला अधिकारी मंत्री और जनप्रतिनिधियों ने हकीकत से रूबरू होना मुनासिब नही समझा ।मेले में वही होता आया हे और इस बार भी वही होगा मेले के एन मोके पर रातोरात लीपापोती से कार्य करना जो ढगला चलता आया हे वही चलता रहेगा चाहे कितनी भी घोषणा कर लो कितने भी विकास के रूपये पास कर लो होना वही हे जो होता आया हे। आज पुष्कर की जो हालात हो रखी हे उसको देखकर हर कोई सोचने पर मजबूर हो जाता हे की आख़िरकार करोड़ो रूपये विकास के आने के बावजूद जंहा कहा रहे हे क्या यह कोरी थोथी घोषणा ही हो रही हे या फिर इन रुपयों का दुरूपयोग आप खुद अपनी आँखों से देख लीजिये की अंतराष्ट्रीय तीर्थस्थल के बदहाल हालात।जगह जगह सड्के और नालिया टूट रखी हे घाटो और बाजारों में गंदगी के ढेर मेल क्षेत्र में गंदगी के ढेर आवारा पशुओ का जमावड़ा दो वर्ष पूर्व सोंदर्य के नाम से बने लाखो रूपये की लागत के टूट फूटे डीवाइडर ।इन सबको देखने के बाद आप सभी की आँखे खुल जाएगी की आखिर में पुष्कर के हकीकत में हालात क्या हे।फिर भी अगर कोई कहता हे की पुष्कर विकास की और अग्रसर हे तो इससे बड़ी शर्म की बात और क्या होगी।
अनिल सर संपादक बदलता पुष्कर
