पार्षदों की राजनीति में अटका नेता प्रतिपक्ष !

aaब्यावर। नगर परिषद में अल्पमत में होने के बावजूद एकजुट नजर आने वाले कांग्रेसी पार्षदों की आपसी राजनीति खुलकर सामने आ गई है। विपक्ष में रहकर भाजपा को घेरने वाले कांग्रेसी पार्षद खुद अपने संगठन से घिरते दिख रहे है। पिछले कुछ माह में अच्छे दिनों वाली कांग्रेस के अब बुरे दिन नजर आ रहे है। पहले तो प्रतिपक्ष नेता विजेन्द्र प्रजापति के खिलाफ नाराजगी और फिर ब्लॉक कांग्रेस की अनुशंषा पर नेता प्रतिपक्ष बने भारत बाघमार का विरोध पार्षदों के बीच मतभेदों को उजागार करा दिया है।
दो गुटों में बटी कांग्रेस को एक मंच पर लाने के लिए बुधवार को जिला प्रभारी कुलदीप राजावत ब्यावर आएं। यहां राजावत ने पार्टी पार्षद भारत बाघमार और दलपत मेवाड़ा के बीच प्रतिपक्ष नेता बनाने को लेकर चल रहे विवाद को रोकने के लिए अपने स्तर पर प्रयास किए। इसके लिए दोनों गुटों से पहले तो अलग-अलग मंत्रणा की। इसके बाद राजमहल होटल में सामूहिक रूप से पार्षदों को एकत्रित किया, लेकिन आपसी विरोधाभास के चलते बात नहीं बनी। इस पर राजावत ने होटल के कमरा नंबर 119 में क्रमबद्ध तरीके से पार्षदों को बुलाया और बंद कमरे में मंत्रणा की। हर पार्षद से नेता प्रतिपक्ष के लिए नाम, बनाने के पीछे कारण, इससे क्या फायदा होगा.. जैसे कई सवाल-जवाब करके पार्षदों का मन टटोला। मंत्रणा के दौरान कुछ पार्षदों ने विरोधाभास में बाबूलाल पंवार को ही प्रतिपक्ष नेता बनाने की बात कह डाली। इसके बाद राजावत ने पार्टी को अपनी रिपोर्ट सौंपने की बात कहते हुए 11 जनवरी को नाम घोषणा की बात कहकर चल दिए। इस पूरी कार्यवाही के दौरान ब्लॉक अध्यक्ष सहित वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं से भी राजावत ने रायशुमारी की। दिनभर चले घटनाक्रम के दौरान कई पार्षद राजावत के इंतजार में भूखे रहे। राजावत ने कई पार्षदों को मिलने के लिए एक निश्चित समय तय किया था, लेकिन वह कई घंटे बाद उनसे मिलने पहुंचे। जिसको लेकर भी पार्षदों में नाराजगी देखने को मिली।
खैर कांग्रेस पार्षदों का कोई भी नेता प्रतिपक्ष हो, लेकिन पद को लेकर शुरू हुआ विवाद इतनी जल्दी खत्म हो जाएगा! यह कहा नहीं जा सकता। यदि कांग्रेस आने वाले समय में दो गुटों में बटी रही। तो सदन में भाजपा को घेरना तो दूर, पार्टी को भी इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
-अमित सारस्वत, ब्यावर

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