जानिए सच पेटलावद हादसे का

लापरवाही ही है पेटलावद हादसे का सबब, अब होगी जांच की रस्म अदायगी ।।
मुकेश परमार ओर हरीश राठौड की पड़ताल

j1j2j3मध्यप्रदेश के सिर्फ झाबुआ जिले का पेटलावद ही नही बल्कि पूरा अंचल – पूरा प्रदेश दहल गया । तंत्र के साथ एक शख्स की लापरवाही कितनी जिंदगियो ओर परिवारो पर भारी पडी । इसका अंदाजा लगाकर अंचल रो रहा है प्रशासन हमेशा की तरह जांच की बात कहकर रस्म अदायगी कर लेगा । लेकिन आखिर यह हादसा हुआ कैसे ओर उसके बाद के क्या क्या घटनाक्रम हुऐ देखिए इस रिपोर्ट में ।
वह 5 मिनट काल बनकर टुट पडे जिंदगियों पर–
शनिवार की सुबह पेटलावद ओर झाबुआ जिला कभी नही भूल पायेगा । सुबह करीब 8 बजकर 20 मिनट का समय था न्यू बस स्टैंड ( थादंला रोड ) पर रोज की तरह अच्छी खासी चहल पहल थी । मुकेश सेठिया के रेस्टोरेंट पर रोज की तरह बच्चो से लेकर बढे ओर स्थानीय से लेकर यात्रीगण रुककर चाय नाश्ते मे व्यस्त थे तभी पास मे सेवानिवृत शिक्षक गंगाराम राठौड के दो मंजिला मकान मे किरायेदार के रुप मे दुकान चलाने वाले ” राजेंद्र कासवा” नामक शख्स की दुकान मे एक हल्का विस्फोट हुआ ओर धुंआ निकलने लगा । इस पर वहा आसपास खडे लोगो आश्चर्य ओर कौतुहल वश इस घटनाक्रम को देखने लगे तभी 4 मिनट के बाद एक जोरदार धमाका हुआ ओर गंगाराम राठोड की बिल्डिंग धराशायी होकर गिर पडी ओर उसका अवशेष के दुकडे / पत्थर / सरिया / पतरे एक हजार किमी की रफ्तार से पास खड़े लोगो पर टुट पडे । महज 20 सैकंड मे ही पूरा चौराहा लाशों के ढ़ेर मे तब्दील हो गया । चारो तरफ चीख पुकार , धुंआ – रक्त रंजित लाशें ओर मानव शरीर के चीथड़े ओर नरमुंड बिखरे पडे थे ।
स्थानीय रहवासीयो ने शुरु किया राहत काम —
घटना के बाद स्थानीय लोगों ने सबसे पहले राहत ओर बचाव काम शुरु किया । थोडी ही देर मे प्रशासन का अमला भी पहुंचा । सबसे पहले घायलों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भिजवाया गया वहां से प्राथमिक उपचार कें बाद गंभीर घायलो को इंदौर , दाहोद ओर रतलाम के जिला चिकित्सालय मे रवाना किया गया । कलेक्टर तो काफी देर से पहुंची ।
इन मौतों का गुनाहगार आखिर कौन –?
पेटलावद हादसे के बाद सबसे बडा सवाल यही उठ रहा है कि आखिर हादसे मे मारे गये लोगो कि गलती क्या थी ? आखिर क्यो उन्हें अपनी जान गंवानी पडी ? जिनमें मासूम बच्चे भी शामिल थे ? सीधे तौर पर तो राजेंद्र कासवा ही इसका जिम्मेदार है लेकिन झाबुआ live के इन सवालो का जवाब क्या प्रशासन के पास है ?
सवाल नंबर -1- राजेंद्र कासवा को पेटलावद के रहवासी ओर अति व्यस्ततम इलाके मे विस्फोटक का भंडारण करने की छुट आखिर किसने दी ?
सवाल नंबर -2- अगर राजेंद्र कासवा को यह छुट राजस्व / पुलिस के अफसरो ने नही दी तो उसे रोकने की कोशिश क्यो नही की गयी जबकि वह रोज शाम को खुलेआम अपनी कंप्रेसर मशीन इसी इलाके मे लेकर आता था ?
सवाल नंबर -3- राजेंद्र कासवा हो या कोई ओर हो उसे अपने हर ब्लास्ट का रिकार्ड ओर भंडारण का स्टेटस अफसरों को देना होता था जिसमे भंडारण की जगह भी बतानी पडती थी बडा सवाल क्या पुलिस या राजस्व ने विगत एक सप्ताह की पंजी देखी थी ?
सवाल नंबर -4 – हर तीन माह मे लाइसेंस फीस जमा करवाई जाती है जिसके बाद कलेक्टर अनुमित जारी करता है राजेंद्र कासवा की अनुमति कलेक्टर ने आखिर किस आधार पर जारी कर दी जबकि वह शहर की सीमा से बाहर नही बल्कि अंदर भंडारण कर रहा था तो क्या पेटलावद एसडीएम ने गलत रिपोर्ट दी थी ?
**** जानकारो के अनुसार आज यह हुआ होगा –
इस पुरे मामले पर झाबुआ live ने कुछ तकनीकी जानकारो से बात की तो परिस्थिति देखकर जानकार अंदाजा लगा रहे है कि डिटोनेटर ओर जिलेटिन कीडे शायद एक ही कक्ष मे रखी गयी होगी जो घोर लापरवाही है इसे मैगजीन कवर मे रखना होता है ओर अनुमान है कि एक इलैक्ट्रिक शाट॔ सर्किट हुआ होगा जिससे पहले एक जिलेटिन राड से हल्का धमाका हुआ ओर उसके बाद जिलेटिन ओर डेटोनेटर परस्पर ब्लास्ट फार्मेट में आग के चलते मिल गये ओर इससे भीषण विस्फोट हुआ है ।
शिव सरकार के लापरवाह मंत्री –
इस हादसे के बाद शिवराजसिंह सरकार के मंत्रियों मे समन्वयन की साफ कमी भी दिखाई दी वही संवेदनहीनता भी दिखाई दी । जिले के प्रभारी मंत्री पास ही मे होकर सिर्फ इसलिए नही आये क्योकि उन्हें हैलीकॉप्टर का इंतजार था मगर उनको मिलने वाले हेलीकाप्टर मे गृहमंत्री बाबूलाल गौर डीजीपी ओर सीएम के साथ आ गये ओर उनकी रस्म अदायगी देखिए कि वह अफसरो सें पूछा पूछकर बयान दे पा रहे थे । सरकार के मंत्रियों मे संवादहीनता का आलम यह था कि मुख्यमंत्री जहां मृतकों को मुआवजे का एलान कर चुके थे वही बाबूलाल गौर भोपाल मे मीडिया को जांच के बाद मुआवजा देने की बात कर रहे थे ।
चुनावी मोड मे इलाका – शुरु हुई राजनीति
रतलाम लोकसभा का उपचुनाव होना हैं।। ==================================== पेटलावद मे हुए दर्दनाक हादसे मे कई लोगो ने अपनी जान गवाई ऐसे मे घटना स्थल पर से बच निकलना किसी चमत्कर से कम नही था परन्तु ऐसा चमत्कार थांदला के दो युवकों के साथ हुआ हादसे के समय थांदला का युवक मांगीलाल राठौर एवं साथी होटल मे ही मोजुद था ओर इस मोत के मंजर को अपनी आखों से देखा। बिल्डीग धराशयी हुई मलबा भी उस पर गिरा परन्तु उसकी जान बच गई। भास्कर से बात करते हुए राकेश के हाथ पेर कांप रहे थे घटाना का खोफनाक दृश्य उसकर आखो के सामने घुम रहा था उसके एवं परिजन के चहरे पर खुशी एवं दुख के आसुं झलक रहे थे । वे समझा ही नही पा रहे थे कि किस तरह अपने हालात बया करे। नम खोफ से भरी आखों से राकेश ने बताया की वह एवं उसका एक साथी मनसु बदीया पणदा बदनावर निजी काम हेतु जा रहे थे पेटलावद सेठीया होटल पर नाश्ता करने रुके। कुछ ही देर मे पास के मकान से जोर के धमाके की आवाज आई एवं ताला लगे मकान के दरवाजों ने धुआ निकलाता दिखाई दिया। थोडी ही देर मे इस घटना को देखने आस पास के सैकडो लोग वहा इक्क्ठे हो गये और उसी समय गुजरात की एक कार वहा आकर खडी हुई तभी अचानक से एक ओर जोरदार धमाका हुआ। चारों ओर अंधीयारा छा गया। मुझ पर गिरने वाला मलबा किसी टांड से टकराकर आने से सिधा न गिरने से मुझे हाथ व पावं मे मामुली चोटे ही आई मेरे साथी के भी सिर चोट आई । मै ओर मेरे साथी सहीत होटल मे 6 लोग ओर थे मै मेरा साथी एवं पेटलावद का एक ओर व्यक्ति वहा से कैसे बच निकले हमे भी नही पता । होटल के मालिक सेठिया के गर्दन पर उपर से एक फर्श गले पर गिरा ओर उनकी मोके पर ही मृत्यु हो गई। होटल मे 2 स्कूल के बच्चे भी थे वे भी बच नही पाये । धमाके के कुछ देर बार जब धुए एवं धुल से हुआ अंधीयारा हटा तो मलबे से पुरी तरह धुल मिट्टी मे सने हुए बाहर निकल कर देखा तो चारों ओर लाशों के ढेर लगे थे । मेने अपने इश्वर एवं माता पिता को याद किया की शायद आपके आर्शिवाद से मुझे जिवन मिला हैं।।

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