ऊँचा-ऊँचा धोरा अठै, लाम्बो रेगिस्तान।
कोसां कोस रुंख कोनी, तपतो राजस्थान।।
फोगला अर कैर अठै, करै भौम पर राज।
गोडावण रा जोङा अठै, मरुधर रा ताज।।
कुंवा रो खारो पाणी, पीवै भैत मिनख। मेह
रो पालर पाणी, ब्होत जुगत सूं रख।।
कोरी कोरी टीबङी, उङै रेत असमान।
सणसणाट यूं बाज रही, जणुं सरगम रा गीत।।
सोनै ज्यूं चमके रेत, चाँदनी रातां में। रेत
री महिमा गावै, चारण आपरी बातां में।।
इटकण मिटकण दही चटोकण, खेलै बाल गोपाल
अठै। गुल्ली डंडा खेल प्यारा, कुरां कुरां और
कठै।। अरावली रा डोंगर ऊंचा, आबू शान
मेवाङ री। चम्बल घाटी तिस मिटावै,
माही जान मारवाङ री।।
हवेलियाँ निरखो शेखावाटी री, जयपुर में
हवामहल। चित्तौङ रा दुर्ग निरखो, डीग
रा निरखो जलमहल।। संगमरमर बखान करै, भौम
री सांची बात। ऊजळै देश री ऊजळी माटी,
परखी जांची बात।। धोरा देखो थार रा, कोर
निकळी धोरां री। रेत चालै पाणी ज्यूं, पून
चालै जोरां री।। भूली चूकी मेह होवै,

बाजरा ग्वार उपजावै। मोठ मूँग पल्लै पङे तो,
सगळा कांख बजावै।। पुष्कर रो जग में नाम,
मेहन्दीपुर भी नाम कमावै। अजमेर आवै
सगळा धर्मी, रुणेचा जातरु पैदल जावै।। रोहिङै
रा फूल भावै, रोहिङो खेतां री शान।
खेजङी सूँ याद आवै, अमृता बाई रो बलिदान।।
-सुरेश ढाका