धरा का आशियाना गुलजार हैं हम कलियों से
उद्ददाम चाहत हमारी रिश्तों की हर गलियों से ।
झंकार हम पायल की,मुस्कराहट हम शायर की
जहाँ में कशिश नही हम किसी कायर की ।
प्रतिदान करती हम हर पल जीवन में
सुरभि कायम है हमसे इस भुवन रूपी उपवन में ।
निस्पृह सा वजूद हैं हमारा इस संसृति पर
अमर इतिहास बनाती हैं हम इस धरती पर ।
ईश्वर से प्राप्त वरदान हमें नई सिरजती का
ताना-बाना हैं हमसे घर -गृहस्थी का ।
मुस्कराहट हमारी जैसे बजती मन्दिर की घण्टियाँ
हमारे रूप समक्ष मिट जाती हैं सांसारिक भ्रांतियाँ ।
कुदरत का हैं हम नायाब तोहफा
धरा को स्वर्ग बनाने का काज हमको सौंपा ।
शीतल श्वेत उर्मि हम जीवन की
अभिलाषा परिन्दा बन सैर करे इस भुवन की ।
इंसान अपने साये तले हमे महफूज बना दो
हम परिवार की बन सकती अवलम्बन यह सुना दो ।।
-उर्मिला फुलवारिया
पाली मारवाड़ ( राजस्थान )