पाकिस्तान सरकार को सलाह देने वाली एक संवैधानिक संस्था ने कहा है कि मौत की सजा को खत्म करना शरिया के खिलाफ है। इसलिए इसे हटाने के बारे में न सोचा जाए। अगर सरकार इस संबंध में कोई विधेयक पेश करना चाहती है तो पहले इस पर व्यापक विचार-विमर्श कर ले।
सरकार यूरोपियन यूनियन से कारोबारी लाभ पाने के लिए मौत की सजा को हटाकर उसे आजीवन कारावास में तब्दील करने का कानून बनाना चाहती है। लेकिन शरिया मामलों पर सरकार को सलाह देने वाली परिषद ने इसका विरोध किया है।
उसने कहा है कि सरकार कानून में बदलाव से पहले उसकी राय जरूर ले। मौलाना मुहम्मद खान शेरानी की अध्यक्षता में परिषद की बैठक में इसका फैसला किया गया। कई सेवानिवृत्त जज भी इस संवैधानिक परिषद के सदस्य हैं।