उत्पादन बढाने के लिये आधुनिक तकनीक का उपयोग हो-डा.मिश्रा

केव्हीके में वैज्ञानिक परामर्शदात्री समिति की बैठक सम्पन्न
DSC_0218-डा. एल. एन. वैष्णव- दमोह / उत्पादन की क्षमता बढाने के लिये हर संभव प्रयास किये जायें इसके लिये जो आवश्यकता होगी वह प्रदान की जायेगी। किसानों को उन्नत तकनीक के बारे में पूरा प्रशिक्षण एवं उसके फायदे बतलाने से लगातार सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं यह बात जवाहर लाल कृषि वि.वि. संचालक डा.पी.के.मिश्रा ने कही। वह स्थानीय कृषि विज्ञान केन्द्र में आयोजित वैज्ञानिक परामर्शदात्री समीति की बैठक में उपस्थित अधिकारी,सदस्य एवं किसानों को संबोधित कर रहे थे। इन्होने कहा कि सरकार हर संभव प्रयास कर रही है शासकीय योजनाओं की कमी नहीं है अधिक से अधिक किसानों तक लाभ एवं ज्ञान पहुंचाते हुये उत्पादन क्षमता तो बढाना ही है साथ ही उन्नत किस्म को बढावा भी देना है। जिले में चल रही शासकीय योजनाओं की जानकारी के साथ ही उनके क्रियान्वयन से संबधित जानकारी प्राप्त करते हुये डा.मिश्रा ने विभिन्न प्रकार के सुझाव एवं निर्देश भी दिये। डा.मिश्रा ने प्रदेश के एक किसान के संबध में जानकारी देते हुये बतलाया कि उसने प्रशिक्षण प्राप्त करते हुये उन्नत किस्म के अदरक को पैदा किया जिसकी कीमत लगभग डेढ करोड रूपये थी। बैंक कस कर्ज एक बार में ही चुकाते हुये किसान ने कार भी खरीदी और अदरक का बीज भी सुरक्षित रखा। इन्होने कहा कि आप सभी इस प्रकार कार्य कर सकते हैं।डॉ.मिश्रा ने कहा कि जिले में खरीफ पड़ती भूमि के कृषिगत उपयोग के लिये कार्य योजना बनाकर काम करें तथा केन्द्र द्वारा डाले जा रहे प्रदर्शनों में किसी फसल की पूर्ण कार्यशाला आधारित कार्य करने का निर्देश दिया। उन्होंने पूरी कृषि कार्यमाला अपनाने की बात कही जिससे बीज व किस्मों का अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सके। उन्होंने उद्यानिकी में प्लास्टिक कल्चर को बढ़ावा देने तथा धान में सुगन्धित किस्मों पर वल देने की बात कही। डॉ. मिश्रा ने गेंहूं की बोनी में जीरो टिल सीड ड्रिल के उपयोग की सराहना करते हुये व्यापक पैमाने में इसे अपनाने की बात कही।
ज्ञात हो कि यह वैज्ञानिक परामर्शदात्री समिति की 14 वीं बैठक थी। बैठक का शुभारंभ मां वीणापाणी के समक्ष दीपप्रज्जवलन  करते डा.मिश्रा ने उनका आशीष लिया। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. संजय वैशंपायन ने डा.मिश्रा एवं किसान कल्याण एवं कृषि विभाग के उपसंचालक नामदेव हेडाऊ का पुष्प गुच्छ से स्वागत एवं मानवंदना की। आयोजन के प्रयोजन के विषय में बतलाते हुये डा.वैशंपायन ने  केन्द्र का पिछले 6 महीने का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया तथा कृषि विज्ञान केन्द्र के द्वारा आगामी खरीफ में किये जाने वाले कार्यो को विस्तार से बतलाया। इन्होने बतलाया कि अपे्रल 2013 से मार्च 2014 में कृषि विज्ञान केन्द्र में कृषकों के लिये 56 प्रशिक्षणों का आयोजन किया गया। जिसमें से 23 फसलोत्पादन,03 पौध संरक्षण,13 उद्यानिकी एवं औषघि फसलों ,03 जैविक खेती एवं पादप पोषण एवं 14 कृषि अभियांत्रिकी पर हुये हैं। विस्तार से जानकारी रखते हुये इन्होने भविष्य की योजनाओं को भी सामने रखा।
इसी क्रम में उपसंचालक कृषि श्री हेडाऊ ने भी अपने सुझाव को विस्तार से रखते हुये कहा कि विभाग हर संभव मदद इस कार्य में करेगा। इन्होने कहा कि धान की कम समय में ज्यादा उत्पादन देने वाली किस्मों की जानकारी उपलब्ध कराने की बात कही। उन्होंने आगामी सोयाबीन फसल की बोनी बिना अंकुरण परीक्षण के न करने की सलाह दी। बैठक में कृषक भुलुङ्क्षसह ने अपने खेत में उगाये गये गेहूं के नमूना दिखाकर गेंहूं उगाने की पूरी विधि का समिति के समक्ष वर्णन किया। ग्रामीण विकास समिति के गोङ्क्षवद यादव ने श्री विधि से रोपाई करने की सलाह देते हुये अन्य फसलों में इस विधि को अपनाने का अपना अनुभव सुनाया। बैठक के अंत में कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक विकास जैन ने सभी का आभार ज्ञापित किया।

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