25 वें ज्ञान अलंकरण समारोह में सम्मानित हुई प्रतिभायें
दमोह / भारतीय सेना जैसा कोई प्रोफेसन नहीं है इसलिये देश के युवाओं को इसको अपना चाहिये इससे जहां देश की सेना और अधिक मजबूत होगी तो वहीं दूसरी ओर आप मेें भी जीवन जीने की अलग कला विकसित होगी यह बात भारतीय सेना के कर्नल रविन्दर सिंह ने कही। श्री सिंह स्थानीय शासकीय ज्ञानचंद्र श्रीवास्तव स्नात्कोत्तर महाविद्यालय के सभाकक्ष में 25 वें ज्ञान अलंकरण पुरूस्कार समारोह में उपस्थित गणमान्य नागरिकों को संबोधित कर रहे थे। इन्होने कहा कि देश के नागरिकों का प्यार उनका सम्मान ही भारतीय सेना का मनोबल बढाने का कार्य करता रहता है। देश की भौगोलिक स्थिति भिन्न-भिन्न प्रकार की है कहीं रेगिस्तान तो कहीं पर बर्फ ही बर्फ तो कहीं पर समुंदर की लहरें जहां विभिन्न प्रांतों के भिन्न-भिन्न भाषा के बोलने वाले सेना के सैनिक अपना कार्य मुस्तेदी से करते देखे जा सकते हैं इनको यह सब करने के लिये प्रेरित करने में जनता का प्यार सबसे ज्यादा मदद करता है। इन्होने अपने जीवन काल के सेना में बिताये समय तथा अनुभवों को सामने रखते हुये उपस्थितों को अनेक बार सोचने तो अनेक बार तालियां बजाने के लिये मजबूर कर दिया। कारगिल युद्ध के समय का अपना अनुभव बतलाते हुये श्री सिंह ने कहा कि इस समय सेना के किये गये कार्यों को प्रेस ने जहां प्रथम बार सामने रखा तो वहीं देश वासियों की शुभकामनायें उनके पत्र,बच्चों के प्रेरणादायी कार्टूनों ने हम सबका उत्साह वर्धन किया। श्री सिंह ने कहा कि विश्व के अनेक देशों की फोजें टेक्रालॉजी में कुछ आगे हो सकती हैं परन्तु भारतीय सेना के जवानों जैसा जज्बा किसी भी देश की सेना के पास नहीं है। इसके लिये एक नहीं सैकडों उदाहरण सामने हैं। इन्होने आयोजन की सराहना करते हुये कहा कि यह समाज को नयी दिशा एवं प्रेरणा देने का कार्य करते हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां वीणापाणी,महात्मा गांधी,लाल बहादुर शास्त्री एवं ज्ञानचंद्र श्रीवास्तव के चित्र के समक्ष दीपप्रज्जवलन एवं माल्यापर्ण करते हुये मंचासीन मुख्यातिथि कर्नल रविन्दर सिंह,न्यासी अध्यक्ष जगदीश नारायण जायसवाल,स्वतंत्रता संग्राम सेनानी खेमचंद बजाज ने किया। वहीं दूसरी ओर कु.अपूर्वा श्रीवास्तव ने सरस्वती वंदना अपने साथियों के साथ प्रस्तुत की। इस अवसर पर स्व.ज्ञान साहब के जीवन वृत के कुछ अंशों पर प्रकाश डालते हुये डा.एन.आर.राठौर ने कहा कि ज्ञान साहब में शिक्षा तथा कुछ कर गुजरने का जज्बा था। इन्ही के प्रयासों से आज इतना बडा महाविद्यालय बन सका है।
उक्त गरिमामय कार्यक्रम में सम्मानित किये जाने वालों के मानपत्र का वाचन क्रमश:डा.केदार नाथ शिवहरे,अजय श्रीवास्तव,राजीव अयाची तथा डा.एल.एन.वैष्णव ने किया। इस अवसर पर मुख्यातिथि कर्नल श्री सिंह को स्मृति चिन्ह,मानपत्र शाल श्रीफल प्रदान किया गया तो वहीं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी खेमचंद बजाज की भी मानवंदना की गयी। इस बर्ष उक्त कार्यक्रम में जो एक नया आयाम जोडा गया वह था भारतीय सेना के सेवानिवृत अधिकारी,सिपाही का सम्मान जिसके तहत मकसूद खान को सम्मानित किया गया। इसी क्रम में सेवानिवृत प्रो.एसके जैन, हायर सेकेण्डरी में साकेत व्यास,स्नातक में पुष्पेन्द्र गुप्ता,स्नात्कोत्तर में कु लोकेश्वरी पाठक,विधि स्नातक में संतोष नामदेव तथा अंतर महाविद्यालय में आकाश शर्मा को सम्मानित किया गया। मंच का सफल संचालन प्रो.डा.छबिनाथ तिवारी ने किया तो आभार अधिवक्ता पंकज हर्ष श्रीवास्तव ने व्यक्त किया। कार्यक्रम का समापन राष्टगीत से किया गया तथा अंत में स्व.ज्ञान साहब की पत्नि श्रीमती सरोज देवी को श्रृद्धांजली प्रदान की गयी। उक्त कार्यक्रम में न्यास के समस्त सदस्य,स्व.ज्ञान साहब के परिजन तथा गणमान्य नागरिकों की बडी संख्या में उपस्थिति रही।
Dr.Laxmi Narayan Vaishnava
