…तो इसलिए सैफई तिलक में पहुंचे मोदी

modi mulayammodi lalu iसैफई / प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह का मुलायम सिंह के पोते तेज प्रताप यादव के तिलक समारोह में शामिल होना अनायास नहीं है। कहा जा रहा है कि मोदी दिल्ली की चुनौतियों को शादी समारोह में शामिल होकर साधने की कोशिश कर रहे हैं। शनिवार सुबह सैफई में मोदी ने एक घंटे का वक्त दिया। मोदी पहली बार यादव बेल्ट में पहुंचे। पीएम की इस यात्रा को 9 अध्यादेशों पर राज्यसभा में विपक्ष से समर्थन हासिल करने से जोड़कर देखा जा रहा है। बजट सेशन के पहले मोदी की यह पहल मायने रखती है। मुलायम के पोते का तिलक पीएम के लिए जनता परिवार और समाजवादी पार्टी का भरोसा हासिल करने के लिए बढ़िया मौका था।
तेज प्रताप के तिलकोत्सव पर मुलायम ने ही पीएम की आगवानी की। तेज की शादी आरजेडी चीफ लालू प्रसाद की छोटी बेटी राजलक्ष्मी से हो रही है। सैफई उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में है। दोनों की शादी दिल्ली में 26 फरवरी को होगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मोदी दिल्ली में तेज और राजलक्ष्मी की शादी में भी शामिल हो सकते हैं। दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि मोदी सैफई इसलिए पहुंचे क्योंकि वहां मुलायम मेजबानी कर रहे थे। दिल्ली में लालू मेजबानी करेंगे। ऐसे में पीएम का जाना सैफई की तरह बहुत आसान नहीं होगा।

तस्वीरों में: समधियों के बीच दिखे नरेंद्र मोदी
अभी राज्यसभा में बीजेपी के 46 सदस्य हैं, वहीं कांग्रेस के 67 सदस्य हैं। समाजवादी पार्टी के 15, जेडीयू के 12, एआईएडीएमके के 11, तृणमूल कांग्रेस के 11 और बीएसपी के 10 सदस्य हैं। मांझी को पार्टी से निकाल दिए जाने के बाद जेडीयू को तोड़ने की बीजेपी की कोशिश नाकाम हो गई है और जीतन राम मांझी रेस से बाहर हो गए। हाल ही में मोदी महाराष्ट्र के अमरावती में एनसीपी चीफ शरद पवार के साथ एक मंच पर दिखे। इस मंच के जरिए पीएम ने पवार की तारीफ भी की थी। राज्यसभा में एनसीपी के 6 सांसद हैं। मोदी विपक्ष में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि ऐंटि बीजेपी जैसी कोई स्थिति नहीं बने।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि टीएमसी से राज्यसभा में समर्थन की उम्मीद न के बराबर है। दूसरी तरफ विवादित इंश्योरेंस और भूमि अधिग्रहण बिल पर एनसीपी का समर्थन नाकाफी है। कांग्रेस पहले ही भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का विरोध करने का ऐलान कर चुकी है। इसके लिए कांग्रेस जंतर-मंतर पर प्रदर्शन भी करने वाली है। हालांकि मुलायम भी भूमि अधिग्रहण पर अध्यादेश का विरोध कर रहे हैं लेकिन यह अभी साफ नहीं है कि वह जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे या नहीं? मोदी की कोशिश रही होगी कि सैफई के जरिए मुलायम सिंह और जनता परिवार को विरोध-प्रदर्शन में शामिल होने से रोका जाए।
हालांकि यह कोई पहला वाकया नहीं है जिसमें मोदी और मुलायम का याराना दिखा। राष्ट्रपति भवन में मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भी मुलायम पहुंचे थे। तब बीजेपी प्रेजिडेंट अमित शाह ने मुलायम सिंह की गर्मजोशी से आगवानी की थी। अमित शाह उस दौरान मुलायम सिंह के हाथ पकड़े हुए थे। मुलायम राजनीति में प्रतिद्वंद्विता के बीच मधुर संबंध बनाने में यकीन रखने वाले नेता हैं।

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