अब मुंह से आवाज नहीं निकल रही, मन कुछ कहना चाहता, मगर जीभ और जबड़े साथ नहीं देते। आंखें बोलती हैं, बार-बार पूछने पर मुंह से लड़खड़ाती हुई रुक-रुक कर आवाज आती है कि ..दरिंदों की फांसी का ..टाइम बताए..सरकार। फिर आगे जुबां साथ नहीं देती। यह दशा राजेश गंगवार की है जिन्हें अनशन करते हुए 13 दिन हो गए हैं।
इस व्यक्ति के लिए यह भूख हड़ताल कठिन तपस्या से कम नहीं है। क्योंकि जब दिल्ली में तापमान 2.7 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे आ चुका है तो ऐसे में यह अनशन स्थल पर पूरी रात खुले आसमान के नीचे सो रहा है। अब सवाल यही है कि दिल्ली में सत्ता में बैठे नेताओं का दिल क्यों नहीं पसीज रहा। अभी तक इस व्यक्ति की सुनने के लिए कोई नहीं पहुंचा है। क्या केंद्र और दिल्ली सरकार के पास उसके एक भी प्रश्न का जवाब नहीं है। बरेली निवासी इस व्यक्ति को जनता से ही ऊर्जा मिल रही है। जंतर-मंतर पर पहुंचने वाला हर शख्स इससे मिलने जरूर पहुंचता है।
अनशन पर बैठा यह व्यक्ति अपने लिए भी कुछ नहीं मांग रहा है। उस भारत की बेटी के लिए इंसाफ मांग रहा है, जिस बेटी के साथ 16 दिसंबर को चलती बस में दरिंदों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था। इस बेटी के साथ हुई दरिंदगी की जानकारी जब किसी मीडिया के माध्यम से बरेली के शास्त्री नगर निवासी राजेश गंगवार को मिली तो वह दिल्ली के चल दिए और 24 दिसंबर से इस हाड़ कंपाने वाली ठंड में अनशन पर हैं।