दिल्ली गैंगरेप मामले में गुरुवार को दिल्ली पुलिस ने दूसरी बार स्टेटस रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करी। इतना ही नहीं दिल्ली पुलिस ने अपनी पहले पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट के लिए माफी भी मांगी। कोर्ट ने इस रिपोर्ट पर दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई थी और कहा था कि इस मामले में पुलिस अपने वरिष्ठ अधिकारियों को बचाने की कोशिश कर रही है।
हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सख्त चेतावनी दी है कि इस तरह की वारदात दोबारा नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पीसीआर ने जिस तरह काम किया वह हैरानी भरा है। इस बीच आज इस मामले के सभी पांच आरोपियों की पेशी दिल्ली की साकेत कोर्ट में होनी है। उम्मीद है कि आज यह मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में भेज दिया जाएगा।
साकेत कोर्ट में आज पांच आरोपियों की पेशी होगी। सुनवाई बंद कमरे में होगी। अदालत ने सात जनवरी को बंद कमरे में सुनवाई का आदेश दिया था और मीडिया से अनुमति के बगैर इस मामले से संबंधित कोई खबर प्रकाशित न करने की चेतावनी भी दी थी।
कहा जाता है कि एक सच को छिपाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं। वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म मामले में अपनी कुछ गलतियों को छिपाने के लिए दिल्ली पुलिस को सौ झूठ बोलने पड़ रहे हैं जिससे हर जगह दोषी करार दिया जा रहा है।
अब दिल्ली हाईकोर्ट में भी झूठ बोलकर दिल्ली पुलिस फंस गई है। बुधवार को कोर्ट ने पुलिस के एक झूठ को पकड़कर जमकर लताड़ लगाई। कोर्ट की ओर से जारी किए गए नोटिस पर स्टेटस रिपोर्ट की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा कि 16 दिसंबर की वारदात वाली रात घटनास्थल पर दो पीसीआर ही पहुंची थीं। हाईकोर्ट ने विरोधाभासी बयान को पकड़ कर पुलिस को जमकर झाड़ लगाई और पूछा कि पहले तीन बोला गया था, अब दो बताया जाता है? कोर्ट ने जब तीनों पीसीआर में तैनात पुलिसकर्मियों के नाम जानने की कोशिश की तो पुलिस ने अगली तारीख मतलब 10 जनवरी को नाम बताने की बात कही। जब वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म मामले में मीडिया ने दिल्ली पुलिस की लापरवाही पर सवाल उठाने शुरू किए थे, तब हाईकोर्ट ने 20 दिसंबर को मीडिया रिपोर्टो के आधार पर खुद ही संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था और दो दिनों के अंदर कार्रवाई की स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी। स्टेटस रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस ने वारदात का जिक्र करते हुए कहा था कि मौके पर तीन पीसीआर पहुंची थीं। इनमें एक पीसीआर ने युवती को सफदरजंग अस्पताल पहुंचाया था। एक न्यूज चैनल ने कुछ दिन पहले युवती के दोस्त का साक्षात्कार दिखाया था। पीड़िता के दोस्त ने भी कहा कि वारदात के बाद घटनास्थल पर तीन पीसीआर मौके पर पहुंची थीं।
कुछ उठते सवाल :-
दिल्ली पुलिस की इस हरकत को संदिग्ध माना जा रहा है। सवाल है कि क्यों पुलिस पीसीआर कर्मियों के नामों को उजागर करना नहीं चाह रही है? क्या पुलिस अधिकारी के पास इसकी जानकारी नहीं है कि वारदात वाली रात दोनों या तीनों पीसीआर पर कौन-कौन पुलिसकर्मी तैनात थे? क्या यह संभव है कि उन्हें यह जानकारी नहीं है? बुधवार को ही कोर्ट के पूछे जाने पर नामों का खुलासा क्यों नहीं कर दिया गया?
नाम बताने पर कहीं खुल न जाए भेद ऐसा लगता है कि दिल्ली पुलिस के किसी अधिकारी के निर्देश पर पीसीआर युवती को इलाके के चक्कर में सफदरजंग लाई थी। घटनास्थल पर पीसीआर ने काफी देर लगा दी थी। पूछताछ में यह सब भेद खुल न जाए, इसी वजह से अब तक उनके नामों को गोपनीय रखा गया है।