100 में से 102 अंक! यह कारनामा कर दिखाया है देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में शामिल दिल्ली विश्वविद्यालय ने। द्वितीय वर्ष के फ्रेंच विषय के परीक्षा परिणाम को देखकर एकबारगी निशी सिन्हा [परिवर्तित नाम] को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ, क्योंकि उसे 102 नंबर मिले थे। पेपर कुल 100 नंबर का था।
एक अंग्रेजी समाचार में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली विश्वविद्यालय में सिमेस्टर सिस्टम लागू होने के बाद निशी जैसे कई छात्र हैं जिन्हें अधिकतम से भी ज्यादा नंबर मिले हैं। बीएससी द्वितीय वर्ष के एक छात्र को इंटरनल एसेसमेंट और लिखित परीक्षा दोनों में अधिकतम से ज्यादा नंबर मिले हैं। उसे 50 अंकों के पहले और दूसरे पेपर में क्रमश: 65 और 74 नंबर मिले हैं।
दिलचस्प बात यह है कि एक छात्र को गणित में 55 में से 57 नंबर मिले। हद तो तब हो गई जब एक अन्य छात्र को फिजिक्स में 58 नंबर मिले, जबकि इस विषय के कुल नंबर 38 थे। वहीं, इस तरह से नंबर पाये एक छात्र को दिल्ली विवि की लॉ फैकल्टी ने एडमिनशन देने से इनकार कर दिया।
उधर, इन सब पर सेंट स्टीफेंस कॉलेज की गणित की वरिष्ठ टीचर नंदिता नारायण ने कहा कि परीक्षा में तय नंबरों से ज्यादानंबर देना दिल्ली विवि के पूरे सिस्टम का मजाक उड़ा रहा है। मजबूत परीक्षा प्रणाली हमारी पहचान थी। लेकिन, अब इसने अपनी विश्वसनीयता खो दी है।
सिर्फ इतना ही नहीं। दिल्ली विवि के ही कालिंदी कॉलेज में बीएससी फिजिकल साइंस की छात्राएं इन दिनों काफी परेशान हैं, क्योंकि इनका एक साल खराब हो सकता है। नवंबर-दिसंबर 2012 में 5वें सेमेस्टर की परीक्षा देने वाले इन छात्राओं ने रिअपीयर पेपर्स [थर्ड सेमेस्टर के वे पेपर, जो पहले क्लियर नहीं हो पाए थे] भी दिए थे। 4 जनवरी 2013 को जब परिणाम आया तो रिअपीयर पेपर्स में ये छात्राएं पास थीं, लेकिन अचानक 8 जनवरी को दूसरा परिणाम आ गया, जिसमें इनके 6-6 नंबर कम हो गए और सभी छात्राएं फेल हो गए।
कुछ छात्राओं को 4 जनवरी के रिजल्ट में जो नंबर दिए थे, उनको कम किया गया है। मसलन एक छात्रा के 40 नंबर थे, जिसे घटाकर 34 किया गया। 33 से 27, 32 से 26, 24 से 18 इसी तरह से नंबर कम किए गए हैं। वहीं, डीडीयू कॉलेज के विद्यार्थियों ने भी इस तरह की शिकायत विश्वविद्यालय को भेजी है।
इस बीच, दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा कि परीक्षा में बड़ी संख्या में छात्रों के शामिल होने पर ऐसी गलतियां होने की संभावना बनी रहती है। जब हम रिकार्ड 15 दिन में 122 विषयों में 1.30 लाख छात्रों के परीक्षा परिणाम की घोषणा करते हैं तो कहीं न कहीं त्रुटि रह जाती है। हमने शिकायत केंद्र खोले हैं और गलतियों को ठीक कर रहे हैं।