दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म का छठा आरोपी नाबालिग

फिजियोथेरेपिस्ट युवती से चलती बस में दरिंदगी बरते जाने के मामले के छठे आरोपी को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग करार दिया है। मुख्य न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने आरोपी के स्कूल सर्टिफिकेट में दर्ज उम्र को सही मानते हुए सोमवार को यह फैसला सुनाया। इस आधार पर 16 दिसंबर की घटना की रात उसकी उम्र 17 साल 6 महीने 11 दिन थी। आरोप सिद्ध होने पर न्यूनतम सजा न्यायाधीश के निर्णय पर निर्भर करेगी, जबकि उसे अधिकतम तीन साल तक की सजा हो सकती है।

नाबालिग आरोपी के पिता ने दाखिले के दौरान स्कूल को मौखिक रूप से बताया था कि उसकी जन्मतिथि 4 जून, 1995 है, जो स्कूल के रिकार्ड में दर्ज है। बोर्ड के इस फैसले को दिल्ली पुलिस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि पुलिस यह मान कर चल रही थी कि आरोपी बालिग है। पुलिस ने आरोपी की सही उम्र का पता लगाने के लिए उसके हड्डी की जांच [ऑसिफिकेशन टेस्ट] कराने की मांग भी की, जिसे बोर्ड ने खारिज कर दिया। दक्षिण जिले की डीसीपी छाया शर्मा का कहना है कि उन्होंने बोर्ड के फैसले के खिलाफ अभी सेशन व दिल्ली हाई कोर्ट में अपील करने पर कोई विचार नहीं किया है। वरिष्ठ आला अधिकारी की मानें तो दिल्ली पुलिस अपील नहीं करेगी क्योंकि हड्डी की जांच की प्रक्रिया काफी कठिन है। बोर्ड ने जांच अधिकारी को निर्देश दिया है कि वह आरोपी के खिलाफ पुलिस इंवेस्टिगेशन रिपोर्ट [चार्जशीट के तुल्य] दाखिल करे।

बताया जा रहा है कि नाबालिग आरोपी ने बदायूं [उत्तर प्रदेश] के नंगला गांव स्थित सरकारी स्कूल में करीब साढे़ छह साल की उम्र में पहली कक्षा में दाखिला लिया था। यह स्कूल दसवीं तक है, लेकिन राजू ने तीसरी के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। कुछ साल बाद वह घर से भाग गया था। वारदात से पूर्व पांच सालों तक उसने घर से किसी तरह का कोई संपर्क नहीं रखा। उसका ट्रायल जुवेनाइल कोर्ट में चलेगा। जब उसकी उम्र 18 साल पूरी हो जाएगी, तब नियमानुसार वह जमानत की अपील कर सकता है।

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