जनसुनवाई में दबंगों की बर्बरता सुनकर लोग सहमे
निर्भया मामले के एक साल बाद भी महिला अत्याचार की घटनाओं में नहीं आई कमी
जयपुर। आजादी के 66 साल बाद भी दलितों पर अमानवीय अत्याचार नहीं थम रहे हैं। दलितों को आज भी गांव-देहात में तिरस्कार से देखा जाता है। उंची जाति वाले और दबंग लोग दलितों पर ऐसी बर्बरता करते हैं कि देखने व सुनने वाले सिहर उठते हैं। यह बात यहां दुर्गापुरा स्थित समग्र सेवा संघ में सोमवार को आयोजित राज्यस्तरीय जन सुनवाई के दौरान उभरकर सामने आई। जोधपुर के जय भीम विकास षिक्षण संस्थान के दलित अधिकार नेटवर्क की ओर से यह जन सुनवाई देष की राजधानी दिल्ली में निर्भया के साथ हुई गैंगरेप की घटना के एक साल पूरा होने पर आयोजित की गई। जनसुनवाई में यह तथ्य सामने आया कि पूरी दुनिया को झकझोरने वाली दिल्ली की उस घटना के बाद भी महिलाओं एवं दलितों पर अत्याचार की घटनाओं में कोई कमी नहीं आई है।
रिटायर्ड जिला एवं सेषन जज आरके आकोदिया, रिटायर्ड आईएएस जेपी विमल, राजस्व मंडल के रिटायर्ड अधिकारी गोपालदास एवं समग्र सेवा संघ के सचिव सवाईसिंह की ज्यूरी की मौजूदगी में हुई जनसुनवाई में बारह जिलों से आए पीडित दलितों एवं स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। जनसुनवाई में ज्यूरी के सदस्यों ने प्रत्येक मामले की सुनवाई कर आगामी कार्रवाई के संबंध में सुझाव दिए ताकि पीडितों को जल्द न्याय मिल सके। प्रारंभ में जोधपुर के जय भीम विकास षिक्षण संस्थान के सचिव तुलसीदास राज ने जनसुनवाई के उददेष्यों के बारे में बताया। पूरे दिन चली जनसुनवाई में दलित अत्याचारों से जुडे करीब तीस मामले रखे गए।
जनसुनवाई के दौरान चित्तौडगढ जिले के विजयपुर थानान्तर्गत राजपुरिया गांव में तीन दलित कंजरों की निर्मम हत्या का लोमहर्सक मामला पेष किया गया। तीनों दलितों को निर्ममतापूर्वक मारपीट कर आत्महत्या का रूप देने के लिए फांसी पर लटका कर मार दिया गया। इस मामले में पुलिस ने चार आरोपी पकडे और उन्होंने अपना जुर्म भी कबूल किया लेकिन पीडितों का कहना है कि आठ लोग इस वारदात में और षामिल हैं, जिन्हें पुलिस पकड नहीं रही है। इस मामले में राजनीतिक चालों से पीडित परिवार को गुमराह किया जा रहा है। इस प्रकरण में अजा जजा अत्याचार अधिनियम की धाराएं भी पुलिस ने नहीं लगाई। पीडितों का कहना है कि दबंग जाति के लोगों द्वारा दलित कंजर जाति के लोगों को चोर बताकर उनकी हत्या करना इस क्षेत्र के दबंगों की आदत सी बन गई है।
चित्तौडगढ जिले की कपासन तहसील के तरनावो का खेडा गांव में दलित दूल्हे को घोडी पर नहीं बैठने देने और बारातियों से मारपीट का मामला भी जनसुनवाई में रखा गया। इसी साल 16 मई को हुई सामंती सोच वाली इस घटना में पुलिस अपराधियों से मिल गई और तुरंत कोई कार्रवाई नहीं की। बाद में दलित समाज के एकजुट होने पर पुलिस ने 6 आरोपी पकडे। इस घटना के बाद से इलाके के दलितों में भय का माहौल है, लेकिन सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही। इससे कभी भी कोई और बडी घटना हो सकती है।
बीकानेर जिले के बदरासर की रोही में दलित की हत्या और उसकी पत्नी के यौनषोसण का मामला सुनकर जनसुनवाई में आए लोग सिहर उठे। पीडितों के अनुसार, हरियाणा के मूल निवासी रामनिवास चौहान ने बीकानेर में दो सौ बीघा जमीन खरीद रखी है। इस जमीन पर मजदूरी करने वाले पन्नाराम मेघवाल की पत्नी का वह यौनषोसन करता था और इसी साल 27 मार्च को आरोपी ने षराब पिलाकर पन्नाराम मेघवाल को मार डाला। इस मामले में आज तक जांच में लीपापोती हो रही है और पीडिता न्याय की आस में आंसू बहा रही है। प्रषासन की लापरवाही से अभी तक पीडिता को 5 लाख रूपए का मुआवजा भी नहीं मिला है। नामजद रिपोर्ट के बावजूद आरोपी को नहीं पकडा गया है।
जनसुनवाई में पेष दलित युवतियों के षारीरिक व मानसिक षोसण के जोधपुर के मामले ने सरकार के दलित संरक्षण के प्रयासों की पोल खोल दी। इस मामले में दो सगी बहनों को ब्लेकमेल किया गया। बडी बहन का कई साल तक देहषोसण किया गया। छोटी बहन को जब इस बात का पता चला तो परिवार सहित उसे जान से मारने की धमकी देकर चुप करा दिया गया। इसी साल 29 मई को दबंग आरोपी दोनों बहनों को भगा ले गए। पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गई। बाद में दोनों बहनें बरामद हो गई। इस दौरान 11 अगस्त को देहषोसण की षिकार बडी बहन ने एक बच्चे को जन्म दिया। इस मामले में भी पीडिता को अभी तक न न्याय मिला है और न ही मुआवजा। जनसुनवाई में पीडिता ने कहा कि ऐसे लोगों को फांसी होनी चाहिए।
दलित युवती से बलात्कर कर उसे जान से मारने की नीयत से रेललाइन पर फेंकने की बर्बर घटना ने जनसुनवाई में लोगों को अंग्रेजों के अत्याचार की याद दिला दी। चित्तौडगढ जिले के फतेहपुरा गांव की इस युवती को न्याय तो नहीं मिल सका है, लेकिन दबंग आरोपियों की धमकियां लगातार मिल रही हैं। पीडिता के दोनों पैर कटने से वह जीवनभर घिसटकर चलने को मजबूर है।
जनसुनवाई में दलितों को खेतों पर नहीं जाने देने, दरवाजा लगाने से रोकने, दलितों की पथवारियों को तोडने, गांव से निकलने का रास्ता नहीं देने, फसल काट ले जाने, जमीन पर जबरन कब्जा करने एवं घरों में आग लगाने के मामले भी पेष किए गए।
कल्याणसिंह कोठारी
94140 47744
तुलसीदास राज
