जयपुर। पांच साल से कम उम्र के बच्चों की असामयिक मौत को संसाधनों के बावजूद नहीं रोक पाना सामाजिक अपराध है। चौंकाने वाली बात है कि पूरे देष में पांच साल तक की आयु के करीब चार हजार बच्चे रोजाना मौत की नींद सो रहे हैं। यह आंकड़ा भारत में हर साल चौदह लाख होता है। इसका मुख्य कारण कुपोषण एवं स्वास्थ्य सेवाओं का पूरा लाभ नहीं ले पाना है।
अंतर्राष्टरीय संस्था वर्ल्ड विजन के विष्वव्यापी अभियान के तहत स्योर संस्था जयपुर की सहभागिता से षनिवार को यहां होटल विस्टा में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु एवं उनके स्वास्थ्य पर ध्यान आकर्षित करने के लिए आयोजित राज्यस्तरीय कार्यक्रम में यह तथ्य उभरकर सामने आए। वर्ल्ड विजन के चाइल्ड हेल्थ नाउ प्रोजेक्ट के डायरेक्टर न्यूटन आइसेक, एसोसिएट डायरेक्टर के.ए. जयकुमार, राजस्थान वर्ल्ड विजन के मैनेजर डॉ. जोसिया डेनियल, सेव द चिल्डरन के राज्य समन्वयक प्रभात कुमार, यूएनएफपीए के राज्य प्रमुख सुनील थॉमस जैकब, स्योर संस्था के निदेषक सत्यदेव बारहठ, राज्य बाल संरक्षण अधिकार आयोग के सदस्य सुदीप गोयल, बाल कल्याण समिति जयपुर की सदस्य संतोष अग्रवाल केे आतिथ्य में आयोजित इस कार्यक्रम में पूरे प्रदेष से गैर सरकारी संगठन, महिलाएं, युवा, छात्र-छात्राएं एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र से जुडे़ तीन सौ से अधिक प्रतिनिधियों ने षिरकत की।
वर्ल्ड विजन के एसोसिएट डायरेक्ट के.ए. जयकुमार ने संस्था के कार्यकलापों की जानकारी देते हुए कहा कि राजस्थान के ग्यारह जिलों में कुपोषण दूर करने के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं जबकि पूरे देष में डेढ़ सौ जिलों में कार्यक्रम चल रहे हैं। इन कार्यक्रमों से स्वयं सहायता समूह भी जुडे़ हैं।
वर्ल्ड विजन के चाइल्ड हेल्थ नाउ प्रोजेक्ट के डायरेक्टर न्यूटन आइसेक ने बच्चों की मृत्यु के पांच कारण गिनाते हुए कहा कि भारत में साठ फीसदी बच्चे सात राज्यों में मुख्यतः मौत के षिकार होते हैं, इनमें राजस्थान भी षामिल है। उन्होंने संस्थान के विष्वव्यापी अभियान के तहत अगले दस साल तक के कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए कहा कि अंतर्राष्टरीय आयोजनों की सहभागिता से फुटबॉल के जरिए बच्चों में पोषण का संदेष पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि संस्था के आयोजनों से अब तक सरकार ने बहत्तर नीतियों में बदलाव किया है।
राज्य बाल संरक्षण अधिकार आयोग के सदस्य सुदीप गोयल ने बच्चों की मृत्यु को एयरक्राफ्ट क्रेष जैसी घटनाएं बताते हुए इन पर ध्यान नहीं दिए जाने पर अफसोस जाहिर किया। उन्होंने राजस्थान में जल्द षुरू होने वाली राष्टरीय बाल स्वास्थ्यय कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस कार्यक्रम में सत्ताईस करोड़ बच्चों को लाभान्वित करने का लक्ष्य तय किया गया है।
सेव द चिल्डरन के राज्य समन्वयक प्रभात कुमार ने कहा कि अपने आसपास बाल मृत्यु को रोकने के लिए तीन कार्य प्रमुखता से करने होंगे। इसमें सभी जगह स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की उपलब्धता, समुदाय को सुविधाओं की जानकारी एवं पुरूष को प्रसव पूर्व की जिम्मेदारियों से अवगत कराना है। बाल कल्याण समिति जयपुर की सदस्य संतोष अग्रवाल ने बच्चों के अधिकार सुनिष्चित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी।
यूएनएफपीए के राज्य प्रमुख सुनील थॉमस जैकब ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में उपलब्ध सेवाओं का उपयोग नहीं किया जाना चिंता की बात है और किसी भी परिवार में बाल मृत्यु होना सहन नहीं की जानी चाहिए।
स्योर संस्था के निदेषक सत्यदेव बारहठ ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि जागरूकता के लिए सात राज्यों में नौ से छब्बीस मई तक आयोजित किए जा रहे इस अभियान के तहत पांच सौ से अधिक कार्यक्रम किए जाएंगे।
प्रारंभ में षिक्षाप्रद-मनोरंजक नुक्कड नाटक स्वास्थ्य ही जीवन है के जरिए पांच साल से कम उम्र के बच्चांे की मौत के कारणों को रेखांकित करते हुए चाइल्ड हेल्थ नाउ कार्यक्रम के बारे में बताया गया। बेटी बचाओ आंदोलन की मुखिया डॉ. मीतासिंह ने संचालन ने किया। आयोजन से पहले सुबह स्कूली बच्चों ने रैली निकालकर पांच साल तक के बच्चों के बचाव का संदेष दिया। करीब तीन सौ बच्चों की यह रैली रामनिवास बाग से षुरू होकर पुलिस मैमोरियल पहुंचकर समाप्त हुई।
-कल्याणसिंह कोठारी
मीडिया सलाहकार
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