राजस्थान सरकार ने 20 दिसम्बर 2014 को पंचायती राज अधिनियम 1994 में अध्यादेश द्वारा जो बदलाव किया उसके अनुसार सरपंच पद हेतु 5 वीं व 8 वीं तथा पंचायत समिति सदस्यों व जिला परिषद् सदस्यों के लि 10वीं पास चुनाव में उम्मीदारी के लिए शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य कर दी है.
राजस्थान के विभिन्न संगठनों की ओर से आज प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि हमें यह लगता है कि यह अध्यादेश कई स्तर पर भेदभावपूर्ण है व उन निर्दोष लोगों को दण्डित करता है जो स्कूली शिक्षा नहीं ले सके. यह निर्णय पहले से ही स्कूल जाने से वंचित रह गए उन लोगों को और अधिक वंचित करता है. यदि हम आंकड़ों को देखें तो वर्तमान में जिला परिषद् के लिए चुने गए 50 प्रतिशत सदस्य एवं पंचायत समिति के लिए चुने गए 70 प्रतिशत सदस्य अयोग्य हो जाते हैं. इस प्रतिशत को देखते हुए आरक्षित श्रेणी के लिए तो और भी मुश्किल है. पंचायत में सरपंच एवं महिलाओं के लिए चाहे वह जिला परिषद् सदस्य हों या पंचायत समिति सदस्य के आंकड़े उपलब्ध नहीं है उस स्थिति में यह और मुश्किल हो जाता है. यह केवल चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को ही निराश नहीं करेगा बल्कि उस जनता को जो उन अनपढ़ परन्तु ईमानदार एवं प्रतिबद्ध प्रतिनिधियों को चुनना चाहती है, का अवसर चला जायेगा. राज्य सरकार ने इस अध्यादेश के बारे में लोगों से कोई सलाह मशविरा नहीं किया है और ना ही विधानसभा में इस बारे में कोई चर्चा की है और न्यायालय में इसके विरुद्ध जाने का मौका भी नहीं छोड़ा है. भाजपा की यह दलील है कि अनपढ़ सरपंचों को भ्रमित कर दस्तावेजों पर आसानी से हस्ताक्षर करा लिए जाते हैं तो फिर ये नियम जिला परिषद् एवं पंचायत समिति सदस्यों के लिए क्यों? और यदि ये सही है तो ये शुरुआत एम एल ए और एम पी के चुनाव से क्यों नहीं की सकती है? जबकि हमारा मानना है कि सरपंचों से केवल निगरानी व नीतियों से सम्बंधित काम ही करवाना चाहिए.
राजस्थान सरकार की इस अलोकतांत्रिक पद्धति व सविधान की मूल भावना को चोट करने वाले अध्यादेश का हम विरोध करते हैं और राजस्थान सरकार से इस अध्यादेश को तुरंत प्रभाव से वापस लेने की मांग करते हैं.
राजस्थान इलेक्शन वाच, सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान राजस्थान,मजदूर किसान शक्ति संगठन, सूचना का अधिकार मंच, पंचायती राज सशक्तिकरण अभियान, आदिवासी अधिकार मंच, जाग्रत महिला संगठन, युवा शक्ति संगठन, एकल नारी शक्ति संगठन, राजस्थान मजदूर किसान मोर्चा एवं अन्य साथी संगठनों की ओर से
अरुणा रॉय, निखिल डे, भंवर मेघवंशी, पी.एल. मीमरोठ, भंवरसिंह,रेणुका पामेचा, मोतीलाल, रिचा औदिच्य, तुलसीदास राज, ग्यारसीबाई, नौरती बाई, रुकमनी बाई, रामकरण, आर. डी. व्यास, रावतराम, चन्द्रकला, ब्रजमोहन, वीरेंद्र श्रीमाली, कमल टाक, मुकेश गोस्वामी एवं अन्य साथी