दृष्य कला विभाग में लघु चित्रकला षिविर का समापन एवं प्रर्दषनी प्रारम्भ

कलागुरु स्व. सुमहेन्द्र की स्मृति में सम्पन हुआ यह षिविर

कलावृत संस्था की संरक्षक श्रीमति सुमन शर्मा ने प्रसस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
कलावृत संस्था की संरक्षक श्रीमति सुमन शर्मा ने प्रसस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
कलावृत के सचिव हमीा सिंह राठौड़ कलाकारों एवं अधिकारीयों को धन्यवाद देते हुये
कलावृत के सचिव हमीा सिंह राठौड़ कलाकारों एवं अधिकारीयों को धन्यवाद देते हुये
फाइन आर्ट के पेन्टिंग विभाग की विभागाध्यक्ष ड़ा तनुजा सिंह वरिष्ठ कलाकार श्री रणजीत सिंह जें चुड़ावाला को शिविर में बने चित्रों की जानकारी देती हुयी।
फाइन आर्ट के पेन्टिंग विभाग की विभागाध्यक्ष ड़ा तनुजा सिंह वरिष्ठ कलाकार श्री रणजीत सिंह जें चुड़ावाला को शिविर में बने चित्रों की जानकारी देती हुयी।
जयपुर की प्रसिद्ध कला सस्ंथा ‘कलावृत’, जिसकी स्थापना आज से 40 वर्ष पूर्व कलागुरु स्वर्गीय ड़ा एम.के. शर्मा ‘सुमहेन्द्र’ के द्वारा की गई थी।
संस्था ‘कलावृत’ एवं विजुअल आर्टस विभाग के सयुक्त तत्वाधान में आयोजित राजस्थान की प्रसिद्ध लघु चित्रकला के विकास के लिये इस शिविर का आयोजन राजस्थान विश्वविद्यालय के फाइन आर्ट विभाग में आयोजित किया गया, जिसका आज विघिवत समापन हुआ एवं कलाकारों द्वारा बनाई कलाकृतियों की प्रर्दशनी का आरम्भ हुआ।
कलावृत के अध्यक्ष संदीप सुमहेन्द्र ने बताया कि इस शिविर के दौरान जयपुर के प्रसिद्ध कलाकार पद्मश्री एस. शाकिर अली ने ष्लघुचित्रण परम्पराष् विषय पर, अपने व्याख्यान में बताया कि किस प्रकार उन्होने अपने परिवार में लघु चित्रकला की चित्रण परम्परा के साथ अपने प्रायोगिक अनुभव एवं ज्ञान को कलाकारों एवं छात्रों के समक्ष प्रस्तुत किया प्रस्तुत किये।
उदयपुर से आये प्रो. शैल चोयल ने अपने व्याख्यान में ‘‘समय, समाज एवं सुक्ष्मचित्रण परम्परा’’ विषय पर बोलते हुये बताया कि भारतीय कला तथा लघु चित्रण परम्परा के विकास- क्रम को ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में समझाते हुए उक्त कला के सौन्दर्यात्मक मूल्यों एवं मानदण्डों को उद््घाटित किया। उनका मानना है कि पाश्चात्य कला के आधुनिक सौन्दर्य मूल्यों एवं रचनात्मक आयामों का भारतीय चित्रकारों द्वारा अनुगमन करना अत्यन्त खेदप्रद है जबकि हमारी लघुचित्रण परम्परा ऐसे बिरले चित्रोपम तत्वों से समृृद्व है कि उनसे प्रेरणा लेकर हमारे कलाकार देशज एवं संस्कृृतिक मूल्यों के अनुरूप कला को आधुनिकतम रूप प्रदान कर सकते है यह वह कला होगी जो वस्तुतः हमारी अपनी जमीन पर खडी होगी और विकास के साथ आधुनिक भी हो सकेगी। जो अत्यन्त प्रेरणादायक एवं ज्ञानवर्द्वक रहेगी।
इसी प्रकार चित्रकार श्री जयशंकर शर्मा द्वारा ष्सोने की हिलकारीष् बनाने की तकनीक पर व्याख्यान दिया गया। उन्होने सोने के वर्क से उसकी स्वर्ण इंक बनाने की विधि भी बताई व छात्रों को बनाकर भी दिखाई। इस तकनीक का प्रयोग लघु चित्रकला में स्वर्ण रंग के लिए किया जाता है इस तकनीक की जानकारी छात्रों के लिए एक कौतुहल का विषय रही ।
जयपुर के चित्रकार संजीव शर्मा ने इस शिविर में लघु चित्रकला में विशेष रुप से प्रयोग में लिये जाने वाले पेपर जिसे ‘‘वसली’’ कहा जाता है वह बनाने की विधि एवं उसकी बारीकि से युवा कलाकारों एवं कला छात्रों को अवगत करवाया, शिविर में उनके साथ छात्रों से भी अपने हाथों से ‘‘वसली’’ बना के उसके बारे में चित्रकार से पूर्ण जानकारी ली।
प्रदेश के वरिष्ठ कलाकार विरेन्द्र बन्नु नें कलाकारों एवं कला छात्रों को लघु चित्रकला में प्रयोग होने वाले प्राकृतिक, मिनरल रंगों में लेपिस, हरा भाटा, फिरोजा, पेवडी एवं हिगंलु ओर प्राकृतिक रंगों रामरज, गैरु, नील एवं काली स्याही, सिंदुर के बारे में जानकारी दी। उन्होने छात्रों को खडिया को तैयार कर वसली पर ग्राउण्ड बनाना भी बताया। सभी छात्रों ने इन प्राकृतिक रंगो को अपने हाथों से छु कर उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की इसके पश्चात लघु चित्रों में गउगुली का कैसे प्रयोग होता है उसकी जानकारी देते हुये अपने पिता स्व. वेदपाल शर्मा ‘‘बन्नु’’ जी की पेन्टिंग भी छात्रों को दिखाई। ऐसा माना जाता है कि गउगुली को उस समय में कृष्णजी के चित्रों उनके कपड़ो ओर माथे पर चमक एवं पवित्रता को दर्शाने के लिये उपयोग में लिया जाता था जिसे लगाने के बाद चित्र में लगेे रंग कभी फिके नही पडते थे चाहे चित्र कितना भी पुराना क्यो ना हो जाये।
विभागाध्यक्ष विजुवल आर्टस, रजत पण्डेल ने बताया कि स्व. सुमहेन्द्र की स्मृति में उनके द्वारा स्थापित संस्था कलावृत का यह 33वां शिविर है जो राजस्थान विश्वविद्यालय में सम्पन हुआ। इस 6 दिवसीय लघु चित्रकला शिविर में भाग लेने वाले सभी कलाकारों ने अपनी-अपनी तकनीक से एक-एक पेन्टिंग बनाई, शिविर में कुल 25 कलाकारों नें भाग लिया।
शिविर में भाग लेने वाले सभी कलाकारों को प्रदेश के वरिष्ठ कलाकार श्री रणजीत सिंह जे. चुडावाला एवं कलावृत संस्था की संरक्षक श्रीमति सुमन शर्मा ने सभी कलाकारों को सर्टिफिकेट दे कर सम्मानित किया। शिविर में कलाकारों द्वारा बनाये चित्रों कि प्रदर्शनी लगाई गई है जो दिनांक 25 अक्टुबर 2015 तक सभी के अवलोकनार्थ प्रातः 11 से सायं 4 बजे तक खुली रहेगी।
कार्यक्रम के आखिर में कलावृत के सचिव हमीर सिंह राठौड़ ने सभी कलाकारों एवं विजुअल आर्टस विभाग के सभी अधिकारीयों को शिविर के सफल आयोजन के लिये धन्यवाद देते हुये आशा जताई कि आगे भी कलाकारों एवं दृश्य कला विभाग का कलावृत को इसी प्रकार सहयोग मिलता रहेगा।

संदीप सुमहेन्द्र
अध्यक्ष, कलावृत
94140 66866

देवेन्द्र सिंह बैस
सदस्य, कलावृत
82336 09328

2-ta-8, jawahar nagar, jaipur-302004 (Rajasthan)
e-mail: kalavritt.jaipur@gmail.com

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