षिर्डी, 25 अक्टूबर 2015। हजारों श्रद्धालुओं की आंखें मंच के पार्श्व में लगी विश्व संत उपाध्याय पुष्कर मुनि के विशाल चित्र पर टिकीं थीं। उपस्थित संत व श्रद्धालुजन बारी बारी से गुरु पुष्कर के जीवन व उनकी शिक्षाओं से जुडे प्रवचन दे रहे थे। प्रवचनों के बीच हजारों कंठों से निकलती ‘जय पुष्कर – गुरु पुष्कर’ की ध्वनी वातावरण को गुंजायमान कर रही थी। यह अद्भूत नजारा था रविवार 25 अक्टूबर 2015 को महाराष्ट्र प्रांत की धर्मनगरी ‘षिर्डी’ स्थित सिल्व्हर ओक लॉन्स का।
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ ‘षिर्डी’ द्वारा आयोजित उपाध्याय पुष्कर मुनि के 106 वें जन्मोत्सव समारोह में देशभर के श्रृद्धालुओं ने भाग लिय्ाा। समारोह में प्रातः 8 बजे से ही उपाध्याय पुष्कर मुनि के जय्ाकारे के साथ श्रृद्धालुओं का आवागमन प्रारंभ हो गय्ाा। समारोह में महाराष्ट्र, मेवाड – मारवाड तथा मालवा मध्य्ाप्रदेश, गुजरात, पंजाब, दिल्ली, कर्नाटक, हरिय्ााणा, उत्तरप्रदेश, इत्य्ाादि 12 प्रांतों के 1800 से अधिक श्रृद्धालुओं ने भाग लिय्ाा।
समारोह को संबोधित करते श्रमणसंघीय्ा सलाहकार दिनेश मुनि ने कहा कि उपाध्य्ााय्ा पुष्कर मुनि ने समाज को नई दिशा प्रदान करने के लिए काफी संघर्ष किय्ाा। वे ऐसे महान व्य्ाक्तित्व के धनी थे जिन्होंने पूरे विश्व में प्रेम, शांति और भाईचारे का संदेश प्रसारित किय्ाा। आज हम सभी उनके द्वारा प्रदत्त प्रेरणाओं के ऋणी हैं। दिनेष मुनि ने आगे कहा कि कई वर्षों तक उपाध्य्ााय्ाश्री की सेवा में रहने का सुअवसर ही मेरे जीवन की अनमोल धरोहर है। जो भी श्रृद्धालु उनके सम्पर्क में आय्ाा उसे उन्होंने रज से रतन बनने का सदुपदेश दिय्ाा। वे जप एवं तप के महान आराधक थे। उन्होंने धर्म, अध्य्ाात्म, शिक्षा, चिकित्सा एवं साहित्य्ा के क्षेत्र्ा में कई श्रावक तैय्ाार किए जो समाज सेवा में अग्रणी कायर््ा कर रहे हैं। राजनीति में भी वे पारदर्शीता के प्रबल समर्थक थे। सच तो य्ाह है कि वे इक्कसवीं शताब्दी के महान संत, साधक एवं आराधक थे। उनकी सबसे बडी विशेषता नवकार मंत्र्ा का आमजन को मंगलपाठ देना रहा जिसके कारण अनेक लोग शारीरिक एवं मानसिक रोगों से मुक्त हुए। उनका जबर्दस्त प्रभाव य्ाह रह कि वे जहां भी गए जैनेत्तर लोग भी बढी संख्य्ाा में उनके भक्त बन गय्ो। उपाध्याय पुष्कर मुनि ने अपने उपदेशों द्वारा ग्रामीणजनों को सर्वाधिक प्रभावित किय्ाा और अनेकों को व्य्ासन मुक्त रहने का संकल्प दिलाय्ाा। आज भी भक्तजन उन्हें श्रद्धा से य्ााद करते हैं।
पंडित रत्न पद्मऋषि ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि उपाध्याय पुष्कर मुनि ने जैनधर्म के प्रत्य्ोक पहलुओं को बारीकी से लोगों तक पहुंचाने का काम किय्ाा। उन्हें वर्तमान के साथ भविष्य्ा की स्थितिय्ाों का ज्ञान था। इसी वजह से उन्होंने य्ाुग की स्थिति का भांपते हुए जैनधर्म को नई दिशा देने का प्रय्ाास किय्ाा।
विषिष्ट अतिथि लोक सभा सदस्य दिलीप गांधी, अहमदनगर ने कहा कि पुष्कर मुनि ने अपने जीवनकाल में साधना को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। और अपने भक्तों को भी साधना के निए प्रेरित किया।
मधुरवक्त लोकेष ऋषि ने कहा कि उन्होंने प्रवचनों और व्य्ावहार द्वारा जीवन के उच्चतम नैतिक, मानवीय्ा और आध्य्ाात्मिक मूल्य्ाों को समाज के सम्मुख प्रस्तुत किय्ाा। गुरु की गरिमा हिमालय्ा से उच्च और उज्ज्वल होती है। गुरु पुष्कर ऐसे मुनि थे जहां भौतिकता की चकाचौंध से परे आध्य्ाात्मिक उन्नय्ान की साधना में निरत रहे। उन्होंने जैन एकता के लिए भरसक प्रय्ात्न किय्ाा।
डॉ. द्वीपेन्द्र मुनि ने गुरु बिन घोर अंधार की व्य्ााख्य्ाा करते हुए पुष्कर मुनि को सभी विपत्तिय्ाों का समन करनेवाला आराधक बताय्ाा और कहा कि सच्चा सम्मान भौतिक सम्पदा वालों का नहीं होकर आध्य्ाात्मिक शक्ति सम्पन्न व्य्ाक्तिय्ाों का होना चाहिए और वे ही काल के इतिहास में अमर बने रहते हैं। उन्होंने आचार्य देवेन्द्र मुनि के रुप में ऐसा षिष्य तैयार किया जिसने श्रमण संघ को नई उचाईया प्रदान की।
डॉ. पुष्पेन्द्र मुनि ने कहा कि साधना के शिखर पुरूष उपाध्याय पुष्कर मुनि को आज भी नवकार मंत्र के आराधक तथा निर्मल,शुद्ध एवं वात्सल्य भावों से ओत-प्रोत साधक के रूप में याद किया जाता है। उनके जीवन की गहराई को नापना मुश्किल कार्य है। उन्होंने अपने जीवन में कहीं अग्रता एवं उत्ताप को स्थान नहीं दिया और यहीं कारण है कि वे आज भी मानवता के मसीहा के रूप में याद किये जाते हैं। उपाध्य्ााय्ा पुष्कर मुनि ने समाज को नई दिशा प्रदान करने के लिए काफी संघर्ष किय्ाा। वे ऐसे महान व्य्ाक्तित्व के धनी थे जिन्होंने पूरे विश्व में प्रेम, शांति और भाईचारे का संदेश प्रसारित किय्ाा। आज हम सभी उनके द्वारा प्रदत्त प्रेरणाओं के ऋणी हैं।
समारोह का शुभारंभ नवकार महामंत्र महाजाप से हुआ तत्पश्चात् आदर्ष बहु मंडल की सदस्याओं प्रेरणा लोढा, रुपाली लोढा, कविता लोढा, प्रिया लोढा द्वारा ‘गुरु पुष्कर चालिसा’ का सामूहिक गान किया गया। इसी क्रम में सुषील बहु मंडल की सदस्याओं सुरेखा लोढा, भारती पारख, सरला लोढा, कल्पना ओस्तवाल, ज्योति ओस्तवाल ने ‘गुरु पुष्कर का दरबार सुहाना लगता है’ गीत प्रस्तुत किया। ‘‘मेरे सिर पर रख दो, पुष्कर गुरुवर अपने ये दोनो हाथ’’ नामक गीत पर लुक एण्ड र्लन पाठषाला के जिया पारख, दिप लोढा, नेतल समदडिया, सिद्ध लोढा, साईषा ओस्तवाल, प्रित बाफना, पूर्वा लोढा, साहिल लोढा द्वारा नृत्य प्रस्तुति की गई। गीतकार पारस जैन द्वारा ‘गुरु पुष्कर वापस आओं’ गीत प्रस्तुत कर सभा को भाव विभोर कर दिया। श्रीसंघ षिर्डी के संघपति पुखराज लोढा व महामंत्री विजय लोढा ने पुष्कर मुनि को क्षमा की प्रतिमूर्ति बताते हुए उनके योगदान को स्मरण करवाया।
श्रमण संघ का प्रथम मौका जब विषाल समारोह में जिसमें देष भर से पधारे अतिथि जनों का शाब्दिक स्वागत किया गया, समारोह में हार शाल माला का प्रयोग नहीं किया गया। उपस्थित गुरुभक्तों ने इस कार्य की सराहना की।
अब चातुर्मास में नहीं होगे स्वागत
श्रमण संघीय सलाहकार दिनेष मुनि की आज्ञा से डॉ. पुष्पेन्द ्रमुनि ने इस अवसर पर महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि वे अपने चातुर्मास के दौरान किसी भी अतिथि या महानुभाव का हार – शाल प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत नहीं करवाएगें। एवं चातुर्मास प्रवेष की रंगीन पत्रिका का प्रकाषन भी नहीं करेगे अपितु भक्तों को सूचनार्थ सिर्फ अंतर्देषीय पत्र का प्रकाषन करेंगें। साध्वी संयमप्रभा का 2016 का चातुर्मास बेलापुर में करने की घोषण की। उल्लेखनीय है कि बेलापुर श्रीसंघ साध्वी संयमप्रभा ठाणा 4 का आगामी वर्ष 2016 का चातुर्मास बेलापुर श्रीसंघ में करवाएगें।
मुख्यअतिथि मोहनलाल चौपडा व समारोह अध्यक्ष प्रकाष धारीवाल ने अपने जीवन पर उस महापुरुष द्वारा घटित चमत्कारों का उल्लेख करते हुए महान जपयोगी बताया। श्रीमती रुचिरा सुराणा ने उपाध्याय पुष्कर मुनि के साहित्य में नारी जीवन पर वक्तव्य देते हुए कहा कि नारी के सभी आदर्षों की महिमा उन्होनंे अपने साहित्य में बताई। वे नारी स्वतंत्रता के पक्ष में तो है, लेकिन नारी के स्वच्छन्दाचार के पक्ष में नहीं है। मर्यादाओं का उल्लंघन सिर्फ नारी जीवन के लिए ही अहितकर नहीं है, अपितु वह परिवार और समाज के लिए भी अहितकर है। जैन कांफ्रेंस के राष्ट्रीय्ा युवा अध्यक्ष महेन्द्र पगारिया ने श्रमण संघ निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले उपाध्याय पुष्कर मुनि के संघ निर्माण व श्रमण संघ उत्थान में महत्पूर्ण योगदान बताते हुए कांफ्रेंस की ओर से श्रद्वा पुष्प अर्पित किए। उपाध्यक्षा वनिता ओरडिया ने अपने वक्तव्य में कहा कि पुष्कर मुनि सहृदय्ा की प्रतिमूर्ति थे। उनके उपदेश प्रेम, अहिंसा, सहिष्णुता पर आधारित होते थे।
इसी क्रम में बैगलोर श्री संघ अध्यक्ष चेतनप्रकाष डूंगरवाल, उदयपुर नगर निगम पूर्व महापौर रजनी डांगी, श्री तारक गुरु जैन ग्रन्थालय मंत्री वीरन्द्र डांगी, पूर्व महामंत्री पारस छाजेड़, महावीर भवन सूरत के पूर्व अध्य्ाक्ष बसंतीलाल भोगर, महावीर गौषाला उमरणा अध्यक्ष लक्ष्मीलाल कच्छारा, सूरत महासंघ अध्यक्ष रोषनलाल ओरडिया, धनंजय चौरडिया, शान्तिलाल गुन्देचा इत्यादि आदि वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए।
जन्म जयन्ती समारोह गौमतप्रसादी लाभार्थी परिवार श्री पुखराज सरिता लोढा, श्री रतिलाल चन्द्रकला लोढा, षिवचंद सज्जनबाई पारख, श्रीमती चंचल बाई पुत्र विजय लोढा व नरेष प्रिया पारख थे, जबकि सम्पूर्ण चातुर्मास लाभार्थी परिवार श्रीमती रतनबाई भीकचंद लोढा, श्री सुभाष – पुष्पा, डॉ. संचालाल – संध्या, श्री सुरेष – सरला, श्री धीरज – प्रियंका, श्री निर्मल – नीलम, अंकित, तुषार, अर्हम लोढा परिवार है। जन्मजयन्ती कार्यक्रम स्थल लाभार्थी श्री सुनील बाबूलाल लोढा कोप्परगांव व जयन्ती मिनरल वाटर लाभार्थी श्रीमती प्रेमाबाई सूरजमल लोढा परिवार थे।
समारोह का संचालन डॉ. पुष्पेन्द्र मुनि ने किया और आभार रस्म उपसंघपति दिलीप संकलेचा ने अदा की।