नव चैतन्य कार्यशाला में युवाओ को मिली नई दिशा
सांसद राठौड़ की प्रेरणा से आयोजित हुआ एक अराजनीतिक कार्यक्रम
सांसद हरिओम सिंह राठौड़ ने कहा की स्वामी विवेकानन्द एक व्यक्ति नही एक सोच हे जो आध्यात्मिक, साधू, शिक्षाविद् , राष्ट्र चेतना और राष्ट्र प्रेम के रूप में युवाओं के प्रेरणा पुंज रहे हैं। स्वामी विवेकानन्द जयंती महोत्सव कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए राठौड़ ने कहा की इस कार्यशाला के माध्यम से युवाओं में नव चेतना जाग्रत करना और युवाओं के माध्यम से राष्ट्र निर्माण करना ही परम उद्धेश्य हे।
प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए डा राकेश तैलंग ने कहा कि युवाओं की संवेदना और सुशुप्त भावनाओं को उजागर करना होगा । संवेदनाओं को प्रकाशित करने से युवाओं में नव चेतना का संचार कर सकती हे। तैलंग ने कहा कि संवेदनाओं को सिर्फ प्रकाशित ही नहीं युवाओं को पूर्ण विकास की और ले जाना होगा तभी सामाजिक सरोकार और राष्ट्र निर्माण की सोच आगे तक ले जा सकते हें। उन्होंने कहा की भाव एक ऐसी चीज हे जो दिखाई नही देती हे उसे सिर्फ महसूस किया जा सकता हे। भाव संवेदना और सरोकार से ही विकास संभव हे और यही सांस्कृतिक विरासत हे।
कार्यशाला के द्वितीय सत्र युवा कोशल और जीवन के प्रति युवाओं की सोच पर उदबोधन देते हुए कर्नल गुमान सिंह ने कहा कि भारत मानसिक रूप से कभी गुलाम नही रहा कुछ व्यापारी आये वो यंहा जम गए लेकिन हमने उनको चेन से नही रहने दिया। उन्होंने कहा की यह कहना सरासर गलत हे की भारत 200 वर्षों तक गुलाम था हमे इस सोच से ऊपर उठना होगा। कर्नल ने कहा की स्वामी विवेकानन्द निष्काम कर्मयोगी और निस्वार्थ भावना के व्यक्तित्व थे। हमे हमारे ज्ञान को राष्ट्र निर्माण के उपयोग में लेना चाहिए लेकिन अपने मूल संस्कार को नही भूलना चाहिए। कर्नल ने युवाओं से नशा मुक्ति का आह्वान किया ताकि स्वस्थ और दीर्घायु बना जा सके। स्वयं की क्षमता के आधार पर कार्यक्षेत्र तय करना चाहिए।
तृतीय और अंतिम सत्र को संबोधित करते हुए डा भगवती प्रसाद शर्मा ने कहा की विवेकानंद ने 100 देशों की आजादी का मार्ग प्रशस्त किया तो भारत ने कई शताब्दियों तक पूरी दुनिया का। शर्मा ने कहा की दुनिया आज जिन चीजों को अविष्कृत करने का दावा करती हे भारत 2500 वर्ष पूर्व ही अविष्कृत कर चुका हे। यह प्रमाणित हे। स्वामी विवेकानन्द कार्यशाला के टोहन सभागार में युवाओं को संबोधित करते हुए शर्मा ने कहा कि युवा अगर खुद की क्षमताओं पर विस्वास करे तो भारत फिर से विश्व गुरु बन सकता हे। इसके लिए विदेशी नही स्वदेशी उत्पादन को अपनाना होगा।
उद्बोधन के दौरान स्वामी जी का 122 वर्ष पुराना शिकागों में दिये गए उद्बोधन का ऑडियो सुनाया गया। कार्यशाला के संयोजक लिलेश खत्री और सहसंयोजक कृष्ण कुमार अग्रवाल ने तीनो सत्रों के अतिथियों का स्वागत किया।
कार्यक्रम की शुरुआत डा राकेश तैलंग ने भारत माता और स्वामी जी के चित्र पर माल्यार्पण और दिप प्रज्ज्वलन कर की। कार्यक्रम में महाविद्यालय और विद्यालय के छात्र- छात्राएँ डा विजय खिलनानी, डा भगवती पगारिया, डा आनन्द श्रीवास्तव, डा रचना तैलंग, डा रविन्द्र, शिवनारायण बूब, भागचंद विजयवर्गीय, जगदीश खंडेलवाल, पंकज शर्मा, भगवत शर्मा, डा सुशीला असावा, ओम पुरोहित, नन्दलाल सिंघवी, प्रवीण नन्दवाना, मधुप्रकाश लड्ढा, प्रदीप खत्री, सुभाष पालीवाल,फतह चंद सामसुखा, सुनील जोशी, राजकुमार अग्रवाल, दिनेश पालीवाल, भगवती पालीवाल, हेमेन्द्र खत्री, अमित वर्मा, जीतेन्द्र लड्ढा, अमित विजयवर्गीय, कोशल गौड़, सहित कई गणमान्य उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान मूक बधिर बच्चों द्वारा नृत्य गीत प्रस्तुत किया गया। कार्यशाला के तीनों सत्रों का संचालन गोपालकृष्ण पालीवाल, सविता शर्मा और गिरिराज काबरा ने और आभार लिलेश खत्री ने किया।
