राजस्थान को पेयजल कार्यक्रमों के लिए 72 हजार 750 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज मिले

(
(
जयपुर, 03 फरवरी। जलदाय मंत्राी श्रीमती किरण माहेश्वरी ने केन्द्र सरकार से राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के अन्तर्गत राजस्थान को प्रति वर्ष 7275 करोड़ रूपये के हिसाब से दस वर्षांे के लिए 72 हजार 750 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज प्रदान करने का आग्रह किया है। उन्हांेने कहा कि राज्य में पेयजल परियोजनाओं को समय पर पूर्ण करने के लिए सरकार द्वारा 28811 करोड़ रूपये का एक समग्र परियोजना प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को भिजवाया है।
श्रीमती माहेश्वरी ने बुधवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्राी चौधरी श्री बीरेन्द्र सिंह द्वारा उद्घाटित ग्रामीण स्वच्छता एवं पेयजल कार्यक्रमों की समीक्षा बैठक में बोलते हुए यह मांग रखी। सम्मेलन में राजस्थान के जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के प्रमुख सचिव श्री जे.सी. मोहन्ति भी उपस्थित थे। इस अवसर पर जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड की प्रबंध निदेशक सुश्री आरती डोगरा ने पावर पॉइंट प्रजेेटेशन भी प्रस्तुत किया।
श्रीमती माहेश्वरी ने कहा कि उक्त केन्द्रीय सहायता से राज्य सरकार द्वारा वर्तमान में चलायी जा रहे 69 छोटी-बड़ी परियोजनाओं के माध्यम से राज्य की करीब 21 प्रतिशत आबादी को लाभ पहुंचाया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि राजस्थान देश के कुल क्षेत्राफल का 10.4 प्रतिशत हिस्सा होने के साथ सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन रेगिस्तान प्रधान इस प्रदेश मे सतही जल मात्रा 1.16 प्रतिशत और भू-जल 1.14 प्रतिशत ही उपलब्ध है।
उन्होने बताया कि देश में जहां वार्षिक औसत वर्षा 1125 एम.एम. होती है वही राजस्थान में सिर्फ 531 एम.एम. वार्षिक वर्षा होती है। इसी तरह राजस्थान में प्रति व्यक्ति वार्षिक जल उपलब्धता मात्रा 640 क्यूबेक मीटर है जो कि राष्ट्रीय स्तर, 1700 क्यूबेक मीटर से काफी कम है। उन्होने कहा कि राजस्थान का अधिकतर हिस्सा डार्क जोन में आ चुका है। राज्य में चिन्ह्ति कुल 243 ब्लॉक्स में से 172 डार्क जोन में आ चुके है। जो कुल ब्लॉक्स का 71 प्रतिशत हैं। शेष 71 ब्लॉक्स में से केवल 25 ब्लॉक्स ही सुरक्षित जोन है। जबकि 1984 में 135 जोन सुरक्षित श्रेणी में सम्मलित थे। उन्होने कहा कि यदि इसी तरह पानी का दोहन होता रहा तो निकट भविष्य में शायद ही कोई जोन सुरक्षित बच पायेगा।
उन्होंने बताया कि राजस्थान के 33 जिलों का अधिकतर हिस्सा रेगिस्तानी है। देश के कुल 212 डी.डी.पी. ब्लॉक्स में से 85 ब्लॉक्स (39 प्रतिशत) अकेले राजस्थान में है साथ ही भौगोलिक विविधता होने के कारण दूर दराज के गांव में पानी की साल भर किल्लत बनी रहती है। वहां भू-जल स्रोत्रों के अलावा और कोई विकल्प नहीं है एवं ऐसे दूर-दराज के क्षेत्रों में भूतल स्रोत्रों से पानी की उपलब्धता करवाना आसान नहीं है।
श्रीमती माहेश्वरी ने कहा कि राजस्थान में स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने में कैमिकल युक्त पानी भी बड़ी चुनौती है। यहां के अधिकतर हिस्सों के जल में देश की तुलना में 88.45 प्रतिशत लवणता, 54.34 प्रतिशत नाईट्रेट एवं 55.44 प्रतिशत फ्लोराइड है। उक्त समस्या से निपटने के लिए सरकार द्वारा सभी फ्लोराइड युक्त बस्तियों में स्वच्छ जल उपलब्ध करवाने के लिए मार्च 2017 का लक्ष्य रखा है तथा 2941.77 करोड़ रूपये से राज्य के सात जिलों में करीब 1173 फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों में दस परियोजनाएं स्वीकृत की गई है।
श्रीमती माहेश्वरी ने राजस्थान में आम जन तक स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाने एवं जल संरक्षण के लिए शुरू किये गये ‘‘मुख्यमंत्राी जल स्वालम्बन अभियान’’ के साथ-साथ अन्य कार्य योजनाओं के बारे में बताते हुए कहा कि अल्पकालीन उपायों के तौर पर राज्य के विभिन्न हिस्सों में कम्युनिटी आर.ओ स्थापित किये गये है। जहां पर फ्लोराइड की समस्या ज्यादा है, वहां पर सोलर ऊर्जा आधारित डी.फ्लोराइडेशन यूनिट्स स्थापित किये गये है। वर्तमान में 820 आर.ओ प्लांट्स को विभिन्न जिलों में चालू कर दिया गया है जहां से आम आदमी को 10 पैसा प्रति लीटर के हिसाब से पेयजल मिल रहा है। इस सफलता को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा आगामी वित वर्ष में 2000 और आर.ओ. प्लांट्स लगाने का लक्ष्य रखा है।
दीर्घकालीन योजनाओं की चर्चा करते हुए श्रीमती माहेश्वरी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा रिवर वॉटर बेंसिंस को जोड़ते हुए डिंªकिंग वॉटर ग्रिड बनाने की योजना बनाई है। वर्तमान में चम्बल, माही, इंदिरा गांधी नहर परियोजना, नर्मदा एवं बीसलपुर, जवाई, माही बांध के साथ-साथ अन्य छोटी बड़ी सतही जल परियोजनाओं से ही पानी की आपूर्ति हो रही है लेकिन इन सतही जल स्त्रोंतो से राज्य की कुल बस्तियों में से 4.40 प्रतिशत बस्तियों तक ही पेयजल उपलब्ध हो पा रहा है।
श्रीमती माहेश्वरी ने कहा कि प्रदेश में वर्षा जल का संचय मानसून पर निर्भर है। फिर भी राज्य सरकार द्वारा जल संरक्षण के लिए हर संभव उपाय किये जा रहे है और लघु, मध्यम एवं दीर्घकालीन पेयजल परियोजनाएं बनाई गई है। जिनके लिए केन्द्र सरकार की मदद अत्यंत जरूरी है।

error: Content is protected !!