सरकार संवेदकों के हितों की रक्षा करेगी

लेकिन वे भी अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाएं
देश-विदेश के प्रमुख कॉन्ट्रेक्टर्स के साथ ‘स्टेक होल्डर्स डायलॉग ऑन प्रोक्योरमेंट प्रेक्टिस’ वर्कशॉप सम्पन्न।

dsc_0017जयपुर, 21 सितम्बर। जलदाय मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी ने प्रदेश और देश-विदेश से आए कॉन्ट्रेक्टर्स, पंप एवं पाइप सप्लायर्स से कहा कि सरकार का उद्देश्य पेयजल योजनाओं में और गति लाना, सभी योजनाओं को समयावधि में पूरी करवाना है। उन्होंने कहा कि संवेदकों के सामने आनी वाली सभी समस्याओं को प्राथमिकता से सुना जाएगा और समाधान किया जाएगा, लेकिन वे भी पूरी ईमानदारी के साथ काम करें।
जलदाय मंत्री बुधवार को दुर्गापुरा के स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर मैनेजमेंट (सियाम) में ‘स्टेक होल्डर्स डायलॉग ऑन प्रोक्योरमेंट प्रेक्टिस’ थीम पर वर्कषॉप में बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि सरकार संवेदकों के हितों की रक्षा करेगी लेकिन उन्हें भी अपनी जिम्मेदारी सजगता से निभाने के लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा है सभी संवेदकों की कार्यक्षमता बढ़े, उनके काम की पहचान हो। उन्होंने कहा कि परियोजना में काम में आने वाली सामग्री की गुणवत्ता बेहतरीन हो, काम समय पर पूरे हों ताकि आमजन को समय पर जल उपलब्ध हो सके।
व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के संबंध में जब सुझाव मांगे गए तो संवेदकों द्वारा राज्य में सबकॉन्टेªक्टिंग, पेनल्टी की प्रकिया को सरल बनाने तथा उपयोग में आने वाले सामान के कैटेगराइजेशन कर प्रकिया का सरलीकरण करने की मांग की गई, ताकि परियोजना पूर्ण करने में समय कम से कम लगे। संवेदकों ने कहा कि कार्यादेश मिलने के बाद ज्यादा समय भूमि अधिग्रहण, ड्रॉइंग व डिजाइन अप्रूवल में लग जाता हैं, जिससे परियोजना के क्रियान्वयन मंे अनावश्यक देरी हो जाती है। साथ ही भुगतान में देरी होने से धनाभाव के कारण कार्य समय पर पूर्ण नहीं हो पाते हैं।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (इंफ्रा) श्री डी.बी. गुप्ता ने कहा कि समस्त जिला कलेक्टर्स को निर्देशित किया गया है कि महीने में एक बार होने वाली बैठक में राजस्व विभाग के सक्षम अधिकारी की उपस्थिति में भूिम अधिग्रहण के मामलों को प्राथमिकता से निपटाया जाए। राज्य सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि परियोजना के लिए आवश्यक भूमि का 80 फीसदी उपलब्धता के बाद ही परियोजना स्वीकृत की जाए। उन्होंने कहा कि विभाग में ऑनलाइन टेंडरिंग, ऑनलाइन बिलिंग का काम आईटी विभाग को दिया गया है। संभावना है कि अप्रेल 2017 से पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाएगी। उन्होंने कहा कि वर्कशॉप से प्राप्त सुझावों के बारे में वित्त और कानून विभाग से भी सलाह-मशविरा किया जाएगा।
जलदाय विभाग के सचिव श्री संदीप वर्मा ने वर्कशॉप की शुरुआत में बताया कि विभाग में कार्यांे के भुगतान, विभागीय कारणों से कार्यों में देरी होने की स्थिति में भी संवेदकों को प्राथमिक रूप से समस्त उत्तरदायित्व मानते हुए क्षतिपूर्ति राषि का रोपण, कार्यों के निरीक्षण, कार्यों में समयावधि के निर्णय तथा कार्याें के लिए अनुमोदित दरों में दर वृद्धि आदि के निर्णयों पर भिन्न-भिन्न प्रक्रिया अपनाई जा रही हैं। इससे सरकारी कॉन्ट्रेक्ट में भी प्रतिस्पर्धा में कमी आ रही है। इन कमियों को दूर करने के लिए राजस्थान लोक उपापन पारदर्षिता एक्ट तथा नियमों में विद्यमान अनुपयोगी प्रावधानों को विलोपित करने की सिफारिष भी की जाएगी, साथ ही लोक निर्माण वित्तीय एवं लेखा नियम तथा सामान्य वित एवं लेखा नियम के प्रावधानों में एकरूपता लाने के लिए प्रयास किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि इन्हें दूर करने के लिए मुख्य वर्क्स डिपार्टमेंट्स के सचिवों का स्थाई वर्किंग गु्रप गठित किया गया है। इसके सदस्य सचिव वित्त सचिव (बजट) हैं एवं इस गु्रप में सचिव जलदाय विभाग के अलावा सचिव सार्वजनिक निर्माण विभाग तथा अतिरिक्त सचिव जल संसाधन विभाग सदस्य हैं। इस कमेटी की अब तक दो बैठक भी हो चुकी हैं। इसकी पहली रिपोर्ट इस महीने के अंत में दी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि इस वर्कशॉप का उद्देश्य उपापन नियमों एवं अन्य राज्यों में किए जा रहे नवाचार एवं परियोजना क्रियान्विति को गति देने के लिए अपनाए जा रहे प्रयासों की जानकारी हासिल कर राज्य में उपयुक्त पहल कर परियोजनाओं को गति प्रदान करना है।
वर्कशॉप में सभी प्रमुख कंपनियों के संवेदक, पंप और पाइप सप्लायर्स के अलावा जलदाय विभाग के मुख्य अभियंता, अतिरिक्त मुख्य अभियंता व वित्त विभाग के अधिकारीगण उपस्थित रहे।

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