फ़िरोज़ खान,बारां
बारां 14 नवम्बर । बारां जिले के शाहाबाद व् किशनगंज क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, जहां रहने वाले खैरुआ व् भील समुदाय के लोग ज्यादातर मुख्य रूप से खानों में काम करके ही अपने परिवार का खर्च चलाते है । खानों में रहने व् काम करने से श्रमिको में कई तरह की बीमारियां हो रही है । शाहाबाद ब्लॉक की ग्राम पंचायत संदोकड़ा के गांव मनकाखेड़ा में भील समुदाय के लोग रहते है । यह गांव बारां जिले की अंतिम सीमा पर बसा हुआ है । गत दिनों इस गांव के हालात जानने पर पता चला की बाबला पुत्र जबला व् इसकी पत्नी बाली भील ने 40 वर्षो तक जय हिंद सिलेट फैक्ट्री एमपी के मंदसौर ग्राम मुलतानपुरा में काम किया था । इसने बताया कि फैक्ट्री स्लेट, बत्ती , चॉक बनाने का काम किया था । तब से यह दोनों पति पत्नी बीमार हो गए । और जब इनकी जाँच की गयी तो सिलिकोसिस बीमारी से ग्रसित पाया गया ।उसके बाद से ही यह बीमार है । तो फैक्ट्री मालिक ने इनका इलाज करवाया मगर उसके बाद अभी तक यह पुरी तरह से ठीक नही हुआ है । बाबला का कहना है कि दोनों पति पत्नी से काम नही होता है । बच्चे के सहारे जिंदगी व्यतीत कर रहे है । इसके पास एम् पी अस्पताल में इलाज के पर्चे भी है । इसने प्रशासन से आर्थिक सहायता की मांग की है । साथ ही जिला प्रशासन को किशनगंज व् शाहाबाद में ऐसे मरीजों के लिए जाँच शिविर लगाकर राहत प्रदान की जानी चाहिए । पुर्व में भी किशनगंज ब्लॉक के हतियादह निवासी मोहर सिंह भी इसी बीमारी से पीड़ित था । जिसकी भी जाँच करवाकर जिला कलेक्टर बारां ने अभी हाल ही में आर्थिक सहायता दी है ।
” पीड़ित की जांच कर उसको इलाज हेतु व् बेनिफिट के लिए बारां भिजवाया जावेगा।”
ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी अटल राज मेहता शाहाबाद ।