कृषि में आधुनिकतम तकनीकों का प्रयोग किया जाए- डॉ. परोदा

केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान का 24 वां स्थापना दिवस समारोह आयोजित

photoबीकानेर, 25 अप्रैल। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक पद््मभूषण डॉ. राजेन्द्र सिंह परोदा ने कहा कि कृषि क्षे़त्र में आधुनिकतम तकनीकों का प्रयोग कर, उत्पादन व आय में उल्लेखनीय वृद्धि की जा सकती है।

डॉ. परोदा मंगलवार को भाकृृअनुप-केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर के 24वें स्थापना दिवस समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा गत 24 वर्षोंं में कृषकों के हित के लिए अनेक कार्य किए गए हैं। भारत कृषि प्रधान देश है, कृषकों के सशक्तीकरण से ही देश का सही मायने में विकास हो सकेगा। गत वर्षों में देश व प्रदेश में खाद्यान्न, फल-सब्जी के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई है। बागवानी के क्षेत्र में ब्राजील के बाद भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है।

डॉ. परोदा ने कहा कि कृषि वैज्ञानिक कम भूमि, पानी व खाद में उगाई जा सकने व अधिक मुनाफा देने वाली फसलों के बारे में किसानों को जानकारी दें। उन्होंने रेगिस्तानी वनस्पति पर और अधिक अनुसंधान की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि कृषक को अच्छा बीज व पौध मिल सके, इस दिशा में विशेष प्रयास किए जाएं। साथ ही उन्हें कृषि की नवीनतम तकनीकों को प्रशिक्षण दिया जाए व उन्हेें बाजार से जोड़ा जाए। युवाओं को कृषि क्षेत्र में प्रशिक्षित किया जाए, जिससे वे किसानों तक सही व नवीनतम जानकारी पहुंचा सकें। उन्होंने कहा कि प्रदेश को खेजड़ी वृक्ष एक वरदान के रूप में मिला है। खेजड़ी की बडिंग से बेहतरीन परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि पशुपालन में भी आधुनिक तकनीकों की जानकारी पशुपालकों को दी जाए। उन्होंने संरक्षित कृषि को बढ़ावा देने व फसलों के सुदृृढ़ जीन बैंक पर जोर दिया।

संस्थान के निदेशक प्रोफेसर पी एल सरोज ने बताया कि इस संस्थान की नींव डॉ. परोदा द्वारा वर्ष 1993 में रखी गई थी। संस्थान की 124.58 हैक्टेयर भूमि पर शुष्क क्षेत्रीय फलों के बाग, सब्जी क्षेत्र, पौधशाला व फॉर्म विकसित किए गए हैं। बेर, आंवला, मतीरा, लौकी, काचरी, ककड़ी, ग्वारफली व खेजड़ी की बेहतरीन किस्में विकसित की गई हैं। संस्थान द्वारा शुष्क वातावरण में बहु बागवानी फसलों का प्रभावी फसल चक्र विकसित किया जा रहा है। शुष्क बागवानी से सम्बंधित वैज्ञानिक सूचनाओं के राष्ट्रीय केन्द्र के रूप में काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश फसल गुणवत्ता में देश में अग्रणी है।

विशिष्ट अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी आर छीपा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का सपना है कि वर्ष 2022 तक कृषकों की आमदनी दोगुनी हो जाए, इस स्वप्न को साकार करने के लिए सभी को प्रयास करने होंगे। उन्होंने कृषकों से बूंद-बूंद सिंचाई व फव्वारा पद्धति का अधिकाधिक प्रयोग करने की अपील की। साथ ही आमजन भी जल संरक्षण के लिए हरसंभव कदम उठाएं। उन्होंने कहा कि बीकानेर में स्थित विभिन्न संस्थानों के कृषि वैज्ञानिक पूर्ण समन्वय से कार्य कर रहे हैं।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. भागीरथ सिंह ने कहा कि संस्थान के कृषि वैज्ञानिक, शोध कार्यों को और अधिक गति व विस्तार देने का संकल्प लें। उन्होंने कहा कि कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के विषय में जागरूकता फैलाई जाए। किसानों की आय बढे़, इसके लिए विशेष प्रयास किए जाएं।

इस अवसर पर अतिथियों ने संस्थान द्वारा प्रकाशित अनेक प्रकाशनों का विमोचन भी किया। डॉ बी डी शर्मा ने स्वागत भाषण दिया व डॉ धुरेन्द्र सिंह ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ हरिकृष्णा ने किया। समारोह में राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डॉ. एन वी पाटिल, वरिष्ठ वैज्ञानिक कृषि विस्तार डॉ एस आर मीना, डॉ गोपाललाल, डॉ संजय सिंह, डॉ कनकलता, प्रेम पारीक, बाबूलाल मोहता, खुशाल सिंह सहित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विभिन्न संस्थानों के निदेशक व बडी़ संख्या में कृषक उपस्थित थे।

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