बीकानेर। 12 से 24 जून तक चलने वाले गहन दस्त नियंत्रण पखवाड़े में की जाने वाली गतिविधियों को लेकर शनिवार को स्वास्थ्य भवन सभागार में शहरी स्वास्थ्य मिशन का प्रशिक्षण आयोजित किया गया । आरसीएचओ डॉ. रमेश गुप्ता ने बताया की किस तरह आशा को 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों वाले घरों में संपर्क कर उन्हें ओआरएस का पैकेट देना है, 1 लीटर का घोल तैयार करने की विधि समझानी है, जिंक की गोली की उपयोगिता बतानी है और दस्त व पोषण के सम्बन्ध में सलाह देनी है।
शहरी स्वास्थ्य नियोजन सलाहकार डॉ. रिशमजोत कौर ने बताया कि आई.डी.सी.एफ. पखवाड़े के दौरान शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर तैनात पब्लिक हेल्थ मेनेजरों व नर्सिंग स्टाफ के नेतृत्व में डिस्पेंसरियों पर ओआरएस व जिंक कॉर्नर स्थापित कर आने वाले मरीजों व उनके परिजनों को ओआरएस का घोल बनाने की विधि बताकर उपयोग की जानकारी दी जाएगी। एनयूएचएम सलाहकार नेहा शेखावत ने हाथ धोने के सही तरीके के 6 चरण समझाए। साथ ही बताया कि जुलाई में नया सत्र शुरू होने पर प्राथमिक/उच्च प्राथमिक विद्यालयों में प्रार्थना के बाद व मिड डे मील से पहले हाथ धोने के सही तरीके का प्रदर्शन किया जाएगा। जिला आशा समन्वयक रेणू बिस्सा ने आशाओं को रिपोर्टिंग प्रपत्र भरने का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने सभी आशा सहयोगिनियों को लगातार समुदाय के संपर्क में रहकर अपनी कार्य कुशलता से आम जन को लाभ देने की अपील की।
प्रशिक्षण में डॉ. राहुल हर्ष, डॉ. एम. अबरार पंवार, डॉ. सागरमल शर्मा, डॉ. अंजना कोचर, डॉ. रेखा श्रीवास्तव, लेखाकार सुनंदन सोलंकी, पीएचएम रोहित शर्मा, सुरेन्द्र स्वामी, संजीव दुग्गल, तपन व्यास, सहित शहरी क्षेत्र की एलएचवी, नर्सिंगकर्मी व आशा सहयोगिनियां उपस्थित रहे।
आईडीसीएफ आई.ई.सी. किट से देंगे ओआरएस, जिंक व हैण्डवाश का सन्देश
प्रशिक्षण के दौरान जिला आई.ई.सी. समन्वयक मालकोश आचार्य ने पखवाड़े से सम्बंधित 5 प्रकार के पोस्टर, बैनर व आशा फोल्डर की आई.ई.सी. किट के बारे में बताते हुए इसके बेहतरीन उपयोग से आम जन में डायरिया व उसके प्रबंधन का सन्देश प्रसारित करने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि हाथ धुलाई के पोस्टर को जुलाई में विद्यालयों में लगवाया जाना है।
क्या है डायरिया ? कैसे करें इसका प्रबंधन ?
डॉ. रिशमजोत कौर ने जानकारी दी कि यदि बच्चे को एक दिन में 3 या अधिक पतले दस्त लगते हैं तो उसे डायरिया माना जाएगा और उसे प्रत्येक दस्त के बाद ओआरएस का घोल दिया जाएगा जब तक कि दस्त बंद न हो जाए। 1 लीटर साफ पानी में ओआरएस का एक पूरा पैकेट डालकर घोल बनाया जाता है और उसे 24 घंटे के अन्दर उपयोग करना होता है 2 माह से छोटे बच्चे को 5 चम्मच घोल, 2 माह से 2 साल तक के बच्चे को चैथाई से आधा कप व 2 से 5 साल तक के बच्चे को आधा से एक कप घोल प्रत्येक दस्त के बाद दिया जाना चाहिए। इसी प्रकार 2 से 6 माह तक के बच्चे को आधी गोली जिंक की व 6 माह से 5 साल तक के बच्चे को एक गोली जिंक की प्रतिदिन 14 दिन तक देने से डायरिया बच्चे से दूर ही रहता है।
”आशा सहयोगिनी समाज और स्वास्थ्य विभाग के बीच एक ऐसा मजबूत सेतु है जो ना केवल विभाग की योजनाएं आम जन तक पहुंचाती हंै बल्कि उनके योगदान से कई गर्भवतियों व शिशुओं की जान भी बच जाती है। इसी कारण आशा को गहन दस्त नियंत्रण पखवाड़े का केंद्र बिंदु माना गया है और वे चाहें तो डायरिया व पोषण से सम्बंधित जागरूकता फैलाकर इससे होने वाली 90 प्रतिशत मौतों को रोक सकती हैं।“
– सीएमएचओ डॉ. देवेन्द्र चौधरी
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी
बीकानेर