टैटू के जरिये मुस्कराया गोदना

Aqua Y2 Pro_20170717_181559बीकानेर 24/7/17 (मोहन थानवी )। सावन की रिमझिम फुहारों से भीगी सड़क के किनारे छाते के नीचे वह बैठा था जिसके आसपास पांच सात बच्चों का जमघट देख एक वह भी चलते चलते रुक गई। उसकी आवाज आई, भाई साहब मेरे हाथ पर भी मां लिख दो और (स्टार) तारा बना दो। छाते के नीचे बैठे व्यक्ति ने उसकी ओर देखा और बोला, आइये बहिनजी, टैटू बना दूंगा लेकिन इन दोनों मां व तारा बनाने के अलग अलग चार्ज होंगे। स्वीकृति मिलने पर वह कलाकार महिला के हाथ पर मशीन से टैटू बनाने लगा। पूछने पर महिला ने अपना नाम साधना बताया एवं कहा कि वह मां लिखवा कर तारा (स्टार) इसलिए बनवा रही है कि उसकी मां का नाम तारा है। जी हां, ऐसा सच में शिवबाड़ी में बीते सोमवार को हुआ। सावन में शिवबाड़ी में लालेश्वर महादेव मंदिर के सामने मेला भरता है इसकी जानकारी तमाम श्रद्धालुओं को है मगर मेले में टैटू बनाने वाला एक कलाकार संतलाल सूरतगढ़ से आकर दो पैसे कमाने बैठता है यह संभवतया बहुत कम लोग जानते हैं। बीते सोमवार को संतलाल से बातचीत का मौका मिला। उसने बताया कि किसी जमाने में गोदना के नाम से जानी जाने वाली इस कला को अब टैटू के बहाने अपना अस्तित्व बरकरार रखने का मौका मिला है। वह सूरतगढ़ से मेले मगरियों में न सिर्फ बीकानेर आता है बल्कि जोधपुर, उदयपुर, कोटा, जयपुर आदि अन्य शहरों में भरने वाले मेलोें में भी जाता है। एक सवाल के जवाब में संतलाल ने कहा कि टैटू या गोदना के लिए एक स्पेशल इंक की आवश्यकता होती है जिसे वे स्किन इंक कहते हैं। बहुत पहले जब गोदना अंकित किया जाता था तब बहुत दर्द होता था लेकिन अब मशीन से टैटू बनाए जाने पर सुइयों की मामूली चुभन महसूस होती है जिसे गोदना या टैटू बनवाने वाला आसानी से सहन कर लेता है। संतलाल के अनुसार वह कभी कभी तो बिना बोहनी किए ही लौटता है मगर किसी दिन अच्छी ग्राहकी हो जाए तो हजार बारह सौ रुपए तक कमाई हो जाती है। उसने बताया कि एक वह ही नहीं बल्कि अन्य ऐसे कलाकार भी है जो सधे हुए हाथों से बारीक से बारीक चित्रकारी के टैटू बना कर आजीविका कमाते हैं मगर मेले मगरियों में ग्राहक को बैठने तक की सुविधा नहीं दे पाते इस कारण ग्रामीण इलाके के लोग तो उससे गोदना करवा लेते हैं लेकिन शहरी इलाके की साधना जैसी महिलाएं या युवक युवतियां हिचकते हैं जिसका खमियाजा हमें उठाना पड़ता है।

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