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इस बारे में कांग्रेस सूत्रों का कहना हैं कि हाईकोर्ट बैंच आंदोलन की संघर्ष समिति के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े तथा कांग्रेस विरोधी अधिवक्ताओं ने बहुमत प्राप्त कर लिया हैं। उनका यह भी कहना है कि राज्य और केन्द्र में भाजपा की सरकार भी रही लेकिन उस दौरान ये लोग हाईकोर्ट बैंच की मांग का एक विधिवत प्रस्ताव तक नहीं भिजवा सके। और अब नाकामयाबी का ठीकरा अशोक गहलोत पर फोड़ रहे है। इधर दूसरे पक्ष का कहना हैं कि जयपुर और जोधपुर के अधिवक्ताओं को श्री गहलोत ने उकसा रखा है तथा इसी वजह से दक्षिणी राजस्थान के आदिवासियों को सस्ता न्याय सुलभ नहीं हो पा रहा हैं। कुल मिलाकर इस आंदोलन का नेतृत्व सर्वदलीय नहीं होने तक इसकी सफलता संदिग्ध दिखाई पड़ रही है।
वकीलों ने जलाया मुख्यमंत्री का पुतला
उदयपुर। संभाग में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना के लिए संघर्षरत अधिवक्ताओं ने हड़ताल को विराम देते हुए आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया है। शनिवार को अधिवक्ताओं ने रैली निकाल कर प्रदर्शन किया और राज्य सरकार के खिलाफ आक्रोश व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पुतला फूंका और मुख्यमंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
हाईकोर्ट बेंच संघर्ष समिति के संयोजक रमेश नंदवाना ने कहा कि मेवाड़ में हाईकोर्ट बैंच नहीं खुलने का मुख्य कारण मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही हैं, जिन्होंने अन्य शहरों में मेवाड़ के खिलाफ आंदोलन खड़े करवाए है। शनिवार को दोपहर में निकली अधिवक्ताओं की रैली कोर्ट चौराहे से शुरू होकर देहली गेट, बापूबाजार, सूरजपोल, कलेक्ट्री होते हुए पुन: कोर्ट चौराहे पर आई, जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पुतला दहन किया गया। साथ ही राज्य सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया गया।
आन्दोलन जारी
स्थानीय बार अध्यक्ष भरत जोशी ने बताया कि सोमवार से सभी अधिवक्ता काम पर लौट जाएंगे, लेकिन हाईकोर्ट बैंच के लिए संघर्ष जारी रहेगा और कोर्ट के बाहर विधानसभा चुनाव की आचार संहिता नहीं लगने तक क्रमिक धरना जारी रहेगा। प्रतिदिन 11 बजे वकील कोर्ट के बाहर धरना देंगे। हर महीने की सात तारीख को हाईकोर्ट बैंच की मांग के विरोध में न्यायिक कार्यो का बहिष्कार जारी रहेगा। इसके अलावा एक समिति बनाई गई है, जो मेवाड़ की मांग को केंद्र तक पहुंचाने का कार्य करेंगी।