डॉ. किरण नाहटा राजस्थानी साहित्य को समर्पित व्यक्तित्व थे

बीकानेर 4 मई । राजस्थानी साहित्य एवं संस्कृति जनहित प्रन्यास, बीकानेर के तत्वावधान में मरुधर हेरिटेज के विनायक सभागार में आज डॉ. किरण नाहटा की द्वितीय पुण्यतिथि पर आयोजित समारोह में अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद गिरिजाशंकर शर्मा ने कहा कि डॉ. किरण नाहटा राजस्थानी साहित्य को समर्पित एक जिन्दादिल व्यक्तित्व थे । लोक साहित्य, संस्कृति के ऐतिहासिक तथ्यों की जांच पडताल करने में सिद्धहस्त थे । मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार श्री भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ ने कहा डॉ.किरण नाहटा एक ऋषिकल्प वृक्ष थे । उन्होंने गत 25 वर्षों से राजस्थानी लोक संस्कृति, लोक गाथाओं हेतु सतत वैज्ञानिक कार्य किया । राजस्थानी लोक गीतों में सामंती समाज, राजस्थानी लोक गीतों में जीवन दृष्टि, राजस्थानी बधावा और गुजराती रास, राजस्थानी हरजस, डूंगजी जवारजी की छावली और राज्स्थानी काव्य में जल-वर्णन पर जमीनी कार्य किया है जो सराहनीय है । स्वागत उद्बोधन देते हुए सोहनलाल वेद ने कहा कि डॉ. किरण नाहटा ने राजस्थानी हेतु अनुकरणीय कार्य किया है जिसको इस प्रन्यास के माध्यम से आम लोगों तक पहुंचाने का कार्य किया जाएगा । भंवर पृथ्वीराज रतनू ने डॉ.नाहटा के राजस्थानी भाषा के प्रति लगाव को व्यक्त करते हुए कहा कि राजस्थानी साहित्य में जैन संतों का काफी प्रभाव रहा है उसकी पडताल नाहटाजी ने बखूबी की । डॉ.किरण नाहटा के किए कार्यों पर विस्तृत जानकारी अपने पत्र-वाचन से गिरधरदान रतनू ‘दासूडी’ ने सभी के सामने व्यक्त किया ।इससे पहले सभी गणमान्यों ने डॉ.किरण नाहटा के चित्र पर पुष्प अर्पित किए । मंच ने डॉ.किरण नाहटा के लिखे निबन्ध ‘राजस्थान की लोक संस्कृति’ का लोकार्पण किया इसका सम्पादन साहित्यकार पी.आर.लील ने किया है । अपने उद्बोधन में पी आर लील ने कहा कि डॉ.किरण नाहटा के अप्रकाशित साहित्य का प्रकाशन यह प्रन्यास आप सभी के सहयोग से करता रहेगा । ज्ञान फाउंडेशन की डॉ.उषा किरण सोनी ने अपने उद्बोधन में कहा कि जो शोधार्थी डॉ. किरण नाहटा पर शोध कार्य करेगा उसे ज्ञान फाउंडेशन रू.11000/ का पुरस्कार अर्पित करेगा । व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि डॉ.नाहटा ने राजस्थानी साहित्य की गहराई से पडताल की है । संस्कृतिकर्मी राजेन्द्र जोशी ने कहा कि डॉ.नाहटा राजस्थानी लोक साहित्य के पर्याय थे । कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि डॉ. किरण नाहटा उच्च गुणवत्ता के व्यक्तित्व का नाम था । वे जितने साहित्य में परिपक्व थे उतने ही व्यवहार में विनम्र थे । डॉ.किशनलाल विश्नोई, राजेन्द्र स्वर्णकार, डॉ.बबीता जैन ने भी अपने विचार प्रकट किए । कार्यक्रम का संचालन करते हुए एडवोकेट महेन्द्र जैन ने कहा कि यह प्रन्यास सदैव डॉ. नाहटा के व्यक्तित्व-कृतित्व एवं राजस्थानी लोक कलाओं के लिए किए कार्यों को पुस्तकों के माध्यम से जन तक लाने का कार्य करेगा । कार्यक्रम में पत्रकार लूणकरण छाजेड, गिरिराज पारीक, डॉ.सीताराम गोठवाल, डॉ.नमामीशंकर आचार्य, रवि पुरोहित, डॉ.शंकरलाल स्वामी, मुरलीमनोहर माथुर, कमल रंगा, शिवकुमार शर्मा, संजय पुरोहित, जाकिर अदीब, डॉ.मोह्म्मद हुसैन, पत्रकार पन्नालाल प्रेमी, अविनाश व्यास, डॉ.बसंती हर्ष, श्रीमती कमला कोचर, संजय जनागल, श्रेयांश जैन, आदेश जैन, विक्रांत नाहटा, देवेन्द्र कोचर, डॉ.भंवर भादाणी, मइनूदीन कोहरी, श्रीमती कमला नाहटा, श्रीमती चन्द्रा चोरडिया, जगदीश रतनू, सवाईसिंह रतनू, डॉ.तुलसीराम मोदी, नरेन्द्र लील आदि गणमान्यजन उपस्थित थे । आभार जैन पाठशाला सभा के अध्यक्ष विजय कोचर ने ज्ञापित किया ।

पी.आर.लील मो.न.9414001100

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