अजमेर। इस्लामी तारीख में सात मोहर्रम का एक खास मकाम है। रिवायत के मुताबिक इस दिन हजरत कासिम मेंहदी लगे हाथो से यजीद के खिलाफ हक की लडाई लडते हुए शहीद हुए थे। यही सबब है कि हजरत-ए-कासीम की याद में मुसलमान मेंहदी की रस्म अदा करते है इस रस्म के तहत गरीब नवाज की दरगाह के मकबरे में अंजुमन सैयद जादगान की जानिब से बनाया जाने वाला बडा ताजिया रखा गया। इस ताजिये पर इमाम हुसैन के चाहने वालो ने हजरत-ए-कासिम की याद में मेंहदी पेश की और मलिदा व रेवडी पर नीयाज दिलाई। तकरीबन सभी मुसलमान ने अपने दायंे बाजू पर ईमाम जामिन बांधा, गले में लच्छा डाला और ईमाम हुसैन की फकीरी पहनी। मेंहदी की रस्म अदा करने मकबरे में बडी तादाद में औरतो के साथ बच्चे भी आए। अजमेर की कदीमी रिवायतो के मुताबिक गुलाम भाई की मंेहदी देर रात अन्दरकोट से दरगाह शरीफ के निजाम गेट पहंुची। यह मंेहदी जुलुस की शक्ल में जब रवाना हुई तो सबसे आगे भीलवाडा का मश्हुर भारत बैंड इमाम हुसैन की याद में कलाम पैश करते हुए चल रहा था। साथ ही जुलुस में नौजवान और बच्चे फनेसिपागीरी के करतब दिखाते हुए अखाडा लेकर चल रहे थे। इन लोगो में बडा मजहबी जोश और जज्बा था।