जेनेवा। दुनिया के ताकतवर देशों और ईरान के बीच आखिरकार उसके विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम को लेकर ऐतिहासिक समझौता हो गया। इस समझौते से उसे सात अरब डॉलर (करीब 44 हजार करोड़ रुपये) की राहत मिलेगी और उस पर 6 माह तक कोई नया प्रतिबंध नहीं लगेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इसका स्वागत करते हुए कहा कि ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने की दिशा में यह महत्वपूर्ण और पहला कदम है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने समझौते पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए वार्ताकारों को बधाई दी।
समझौते की घोषणा रविवार को प्रमुख वार्ताकार कैथरीन ऐश्टन और ईरान के विदेश मंत्री मुहम्मद जावेद जरीफ ने की। पत्रकारों से जरीफ ने कहा कि हम एक समझौते पर पहुंच गए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि उनके देश का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण कार्यो के लिए है और वह यूरेनियम संबर्धन का अधिकार नहीं छोड़ेगा। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने ट्वीट कर कहा कि इस रचनात्मक वार्ता से एक नई उम्मीद जगी है।
समझौते के तहत ईरान ने जिन मुद्दों पर अपनी प्रतिबद्धता जताई है उसमें संबर्धित यूरेनियम के भंडार को कम करना, परमाणु संयंत्रों को निगरानी के लिए खोलना प्रमुख है। इसके बदले अमेरिका के साथ वार्ता में शामिल पांच अन्य ताकतवर देश उसे सीमित और अस्थाई राहत देने पर सहमत हुए हैं। यह घोषणा जेनेवा में ईरान और अमेरिका, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, चीन, जर्मनी के बीच यूरोपीय संघ की शीर्ष राजनयिक कैथरीन की अध्यक्षता में चार दिनों से ज्यादा चली वार्ता के बाद की गई। गत अगस्त में हसन रूहानी के राष्ट्रपति बनने के बाद ईरान के साथ जेनेवा में यह तीसरी बैठक थी।
इस बीच, ह्वाइट हाउस ने कहा है कि रविवार को हस्ताक्षरित परमाणु समझौते के तहत अमेरिका और सहयोगी देश ईरान को सात अरब डॉलर की राहत प्रदान करेंगे। अमेरिकी प्रशासन ने एक बयान में कहा कि यदि ईरान समझौते का पालन करता है तो उस पर छह महीने तक कोई नया प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। समझौते के अनुसार, ईरान को ऑटोमोबाइल, पेट्रो रसायन और बहुमूल्य धातुओं के कारोबार में राहत मिलेगी लेकिन अगले छह महीनों तक वह कच्चे तेल की बिक्री नहीं बढ़ा सकता। अकेले तेल प्रतिबंधों से ही ईरान को करीब 30 अरब डॉलर का नुकसान होगा।
भड़का इजरायल, कहा-समझौते से वह बंधा नहीं
यरुशलम। ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर हुए समझौते पर इजरायल ने कड़ी आपत्तिजताई है। एक बयान में समझौते की आलोचना करते हुए प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि यह बहुत बुरा समझौता है। ईरान जो चाहता था उसे वह मिल गया। इस समझौते से उनका देश बंधा हुआ नहीं है। उन्होंने कहा कि इस समझौते से दुनिया को बहुत खुश होने की जरूरत नहीं है।
भारत ने किया स्वागत, तेल आयात में राहत नहीं
नई दिल्ली। ईरान समझौते का भारत ने स्वागत किया है लेकिन इससे उसे तेल आयात में कोई राहत मिलने नहीं जा रही है। ईरान पर लगे प्रतिबंधों के चलते भारत को उससे कच्चे तेल के आयात में कटौती करनी पड़ रही है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम का वार्ता और कूटनीति के माध्यम से समाधान निकालने की कोशिशों का भारत स्वागत करता है।