प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी
की बुराई करने वाले
अज्ञानी मित्रों, उनके
बारे में कुछ भी बोलने
के पहले उनकी उप्लब्धियों,
क्षमताओं, गुणों और
दूरदर्शिता के बारे में
भी आज कुछ जान लें !
•जब मनमोहन सिंह पैदा
हुए तो वे रोये ही नहीं।
नर्सो व डॉक्टरोने कई
बार चिमटी काटी व
थप्पड़ लगाए पर कोई
फायदा नहीं |
लाख कोशिसो के बावजूद
डॉक्टर उन्हें रूलाने
में नाकाम रहे।
इससे पता चलता हैं की
वे बचपन से ही
सहनशील थे।
•स्कूल में जहाँ बच्चो को
कक्षा में बात करने व
शोरगुल करने पर सजा
मिलती थी, वही अपने
मनमोहन जी को किसी
भी टीचर ने आज तक
कक्षा में बात करते हुए नहीं पकड़ा।
यानी वो काफी चालाक
थे,किसी के हाथ ना
आने वाले |
•मौखिक परीक्षा (VIVA )
में वे कभी जवाब नहीं
देते थे, क्यूंकि वे बोलने
में नहीं लिखने में
यकीन रखते थे।
कठपुतलियों का खेल
जो गुमनाम सा हो गया ,
था उसे फिर से जीवित
करने का श्रेय मनमोहन
जी को जाता हैं।
•आज हमारे पास जापान
से बेहतर रोबोट हैं।
हम जापान से इस मामले
में अगर आगे हैं तो सिर्फ
मनमोहन जी के कारण।
•मनमोहन सिंह काफी
अनुशासनप्रिय इंसान हैं।
वे उतना ही बोलते हैं
जितना बोलने को
कहा जाए।
•नारी शक्ति का प्रभाव
दिखलाने के लिए श्री
मनमोहन सिंह जी ने
अपना राजनैतिक जीवन
दांव पर लगा दिया है।
स्त्रियों का आदर करना
क्या होता हैं ये मनमोहन
सिंह जी ने सिखलाया |
•विश्व के सभी प्रधानमंत्रियों
की तुलना में मनमोहन
जी का टेलीफोन बिल
सबसे कम आता हैं।
•मनमोहन जी हमेशा
शान्ति व्यवस्था कायम
रखने के पक्षधर रहे हैं,
चाहे इसके लिए कितने
ही सैनिको की कुर्बानी
ही क्यों ना देनी पड़ जाए।
•मनमोहन जी ने अपनी
अर्थव्यवस्था सम्बंधित
बेशकीमती ज्ञान का
आज तक इसलिए प्रयोग
नहीं किया क्यूंकि उन्होंने
उसे गांधी और वाड्रा
परिवार की आने वाली
पीढ़ियों के लिए
संभाल के रखा हैं।
•फिल्म ” ख़ामोशी ” का
निर्माण मनमोहन सिंह
जी को ध्यान में रखते
हुए किया गया था।
•शादी की पहली रात
में इनकी बीवी ने कहा
” चुप – चुप खड़े हो जरुर
कोई बात हैं ” तो मनमोहन
जी शरमा गए |
•कई देशो ने तो मनमोहन
सिंह की उस तस्वीर
लाने वाले को इनाम देने
की पहल की हैं जिसमे
मनमोहन सिंह जी का
मूह खुला हुआ हो पर
वो नाकाम रहे |
•आज से कुछ साल बाद
इतिहास मे ये प्रश्न
भी पूछा जायेगा –
“गुलाम वंश के
अन्तिम शासक कौन थे?
उत्तर – मनमोहन सिह।
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