प्रसून जी से पुराना बदला चुकता कर लिया

पुण्य प्रसून वाजपेयी
पुण्य प्रसून वाजपेयी

Mayank Saxena : ये चौधरी साहब वही हैं न, जिन्होंने मुझे चम्पादक सीरीज़ शुरू करने के लिए मजबूर किया था.. तो इन चम्पादक जी ने आज प्रसून जी से पुराना बदला चुकता कर लिया… क्यों नौकरी छोड़ आए थे उसके विरोध में… हैं भई…

बाकी जो बात हो रही है, उसे कक्षा 10 का बच्चा भी सुनेगा तो समझ जाएगा कि करप्शन जैसी कोई बात नहीं हो रही है… कई बड़े पत्रकार हैं, जो आज तक संसद और राजनैतिक पार्टियों के दफ्तरों की रिपोर्टिंग सिर्फ इसलिए करते हैं कि उनके सम्बंध नेताओं से अच्छे रहें…. बाइट लेने से पहले उसे जम कर चलाने का वादा करते हैं… और कैसी भी बाइट की तारीफ ऐसे करते हैं मानों वो इतिहास में दर्ज होने वाली हो…

ज़ी न्यूज़ के ही एक पुराने धुरंधर हैं, जो अब मंत्री जी के चैनल में हैं… कांग्रेस मुख्यालय के बेहद करीबी रहे हैं… जनार्दन द्विवेदी पर चप्पल फेंतने वाले को बिना पुलिस और सुरक्षाकर्मी का इंतज़ार किए ख़ुद ही मारने पहुंच गए थे… लगा था कि कांग्रेस प्रवक्ता के निजी बाउंसर हों…

एक और चैनल के प्रधान सम्पादक हैं, जिनके एनडीए कार्यकाल के दौरान बीजेपी के सूचना प्रसारण मंत्री अब दिवंगत से बड़े नज़दीकी रिश्ते थे, साहब डीडी भी पहुंच गए थे… हेड हो कर… अब ऐसे चैनल में हैं, जिसका मालिक कांग्रेस से बीजेपी वाया मोदी लहर पहुंच गया है…

खूब पत्रकारिता की है और डंके की चोट पर दावा कर सकता हूं कि एक पैसे की बेईमानी-कमाई कभी नहीं की… इसलिए दावा ये भी करता हूं कि केजरीवाल कितना ही बेहूदा-अहंकारी-तानाशाह हो, लेकिन प्रसून जी बेईमान नहीं हैं… ये ही प्रसून जी जब मोदी की लहर की बात कर रहे थे, एक महीने पहले तक तो अच्छे थे… ख़ैर जाने दीजिए, मुझे कौन सा संघी और आपी पैसा दे रहे हैं… जिनको दे रहे हैं वो लड़ें और मरें… अपन सूखी रोटी खा कर और आंसू पी कर ही खुश हैं…

बाकी बस इतना समझिए कि दलाल और चोर पत्रकार कोई और हैं, उनके बारे में आप को कभी पता भी नहीं चलेगा…!!!

तेजतर्रार पत्रकार और सोशल एक्टिविस्ट मयंक सक्सेना के फेसबुक वॉल से.

Rajat Amarnath : ज़ी न्यूज़ के सुधीर चौधरी आज पुण्य प्रसून बाजपाई की पत्रकारिता पर सवाल उठा रहे हैं… शायद सुधीर चौधरी अपना वो समय भूल चुके हैं जब उनकी गिरफ्तारी पर प्रसून ने प्रबंधन के दबाव में कुछ देर के लिए तो ‘आपातकाल’ घोषित कर दिया लेकिन तत्काल संभले और इस एक शब्द कहने के बदले ज़ी न्यूज़ से नौकरी छोड़ बैठे थे… आज इसी जी न्यूज पर बदले की भावना के तहत प्रसून की इज़्ज़त प्याज़ के छिलकों की तरह उतारी जा रही है… समय समय की बात है… कुछ डील होटल में होती हैं… तो कुछ नेताओ के घरों पर… हम सारे पत्रकार मोहरे भर हैं… कभी मालिक की जेब भरने के लिये इस्तेमाल होते हैं… तो कभी TRP के लिये…

वरिष्ठ पत्रकार रजत अमरनाथ के फेसबुक वॉल से.
http://bhadas4media.com

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