
अयोध्या की मुख्य सड़क पर ही अपनी पुरानी दुकान में खालिद भाई अपनी पुरानी हो चली मशीन पर नई-नई खड़ाऊं बनाने में व्यस्त हैं। खड़ाऊं को ख्याति इसी रामनगरी से ही मिली। रामकथा में वर्णित है कि पैर में पहनी जाने वाली खड़ाऊं को शासन करने लायक तो सूर्यवंश के शासकों ने ही बनाया। रामनगरी में बनी खड़ाऊं कैसी भी हो उसका महत्व ही अलग है। इसीलिए तो अयोध्या आने वाला श्रद्धालु खड़ाऊं खरीदना नहीं भूलता। रामराज्य कि खड़ाऊं अब रामनगरी में रोजी-रोटी का एक जरिया भी है। चुनाव चर्चा चलते ही पसीना हुए खालिद कहते हैं- राम जन्मोत्सव पहले चुनावोत्सव बाद में। इतना कहकर वे लकड़ी के पटरे पर खड़ाऊं ऐसे काटने लगे जैसे टेलर कोई काटता है। इसी सड़क पर कोतवाली के सामने चन्द्रा मारवाड़ी भोजनालय चलने वाले शख्स भी बोले-यहाँ चुनाव-उनाव रामनवमी के बाद ही दिखेगा। कोई कितना ही जोर लगा ले। उनकी बात का समर्थन खाने का पेमेंट कर रहे ग्राहक ने भी किया-” हाँ , यह तो है ” फैज़ाबाद-अयोध्या के बीच टेम्पो चलने वाले मुकेश कुमार चुनाव के बाबत पूछने पर मुस्कराये और नजर सवारियों पर लग गयी।
सरयू नदी के किनारे बसी ऐतिहासिक-पौराणिक नगरी अयोध्या काफी इतिहास अपने गर्भ में समेटे हुए है। वही अयोध्या जिसके बारे में कहा जाता है कि इसकी खोज नौ हजार साल पहले वेदों द्वारा पहले मनुष्य माने गए ” मनु ” ने की थी। अयोध्या यानी भगवान विष्णु के सातवें अवतार वही भगवान राम जिनका नीति में विश्वास था राजनीति में नहीं।

फैज़ाबाद संसदीय क्षेत्र में आने वाली अयोध्या में हिंदुओं-