शाहपुरा के आयुर्वेद औषधालय में मिली कामयाबी
उठना भी संभव नहीं था, चल कर गयी
-रमेश पेसवानी- शाहपुरा (भीलवाड़ा) स्थानीय आयुर्वेद औषधालय में कम स्टॉफ के बावजूद इंदौर(मप्र) की एक युवती का पंचकर्म चिकित्सा पद्वति से गठिया रोग का उपचार किया गया है। यह युवती पिछले दस वर्ष से इस रोग के कारण परेशान थी तथा इंदौर सहित कई नामी चिकित्सालयों में उपचार कराया परंतु कोई लाभ नहीं मिला था। उपचार करने वाले चिकित्सक डा. कमलेश पाराशर के अनुसार रूमेटिक आर्थेटाइस नामक इस रोग को आयुर्वेद आमवात कहते है। इस रोग में मरीज के सभी जोड़ों में दर्द होने के साथ हड्डी सिकुडऩे लगती है तथा शरीर बेडोल हो जाता है।

इंदौर की सीमा बेनवाल पत्नी सुरेश ने बताया कि दस वर्ष पूर्व उसको गठिया की शिकायत हुई थी। इंदौर व अहमदाबाद के कई चिकित्सालयों में उपचार कराया। करीब दस वर्ष तक उपचार कराने के बाद कोई राहत न होने पर अपनी किस्मत का रोना रो कर उपचार कराना छोड़ दिया। इस रोग में उसके अंगूठे व पंजे में जकडऩ प्रांरभ हुई तथा बाद में रोग बढ़ता गया। इससे चलने, उठने व बैठने में भी उसको परेशानी का सामना करना पड़ा। हाथ व पैर ढेडे हो गये।
सीमा ने बताया कि नवंबर १३ में शाहपुरा में परमानंद कुमावत के पुत्र के विवाह में यहां आयी तो पंचकर्म विशेषज्ञ डा. कमलेश पाराशर को रोग के बारे में बताया। पाराशर ने रोग का उपचार पंचकर्म पद्वति से करने की बात कहते हुए उपचार प्रांरभ किया। करीब दो माह के उपचार के बाद सीमा को रोग से राहत महसूस हुई।
मध्यम परिवार की सीमा के अनुसार गठिया रोग के उपचार के लिए लाखों रू खर्च करने के बाद एक तरफ जहां उसको लाभ नहीं मिला वहीं शाहपुरा जैसे स्थान पर उसको पंचकर्म पद्वति से अब राहत महसूस हो रही है।
उपचार कराने के बाद आज सीमा अपने शहर जाने को तैयार हुई है। सीमा जब यहां उपचार के लिए आयी तो उससे चलना भी संभव नहीं हो पा रहा था, आज उपचार के दौरान वह न केवल दो किमी चलकर अपने मौसा के घर पहुंची वरन चिकित्सक का भी धन्यवाद ज्ञापित किया।
उपचार कराने के बाद आज सीमा अपने शहर जाने को तैयार हुई है। सीमा जब यहां उपचार के लिए आयी तो उससे चलना भी संभव नहीं हो पा रहा था, आज उपचार के दौरान वह न केवल दो किमी चलकर अपने मौसा के घर पहुंची वरन चिकित्सक का भी धन्यवाद ज्ञापित किया।
पंचकर्म विशेषज्ञ डा. कमलेश पाराशर ने बताया कि उन्होंने जोधपुर आयुर्वेद विश्वविद्यालय के तत्वावधान में पंचकर्म का प्रशिक्षण प्राप्त किया था। सीमा बेनवाल के रोगोपचार के लिए आने पर उन्होंने कम स्टॉफ होने के बाद भी चुनौति को स्वीकार करते हुए ४५ दिन का कोर्स प्रांरभ किया। इस कोर्स के दौरान सीमा को पंचकर्म, स्नेहिल स्वेदन, बस्ती प्रयोग के साथ आयुर्वेद की औषधियां दी गई। जिससे दिन प्रतिदिन रोग से उपचार होता गया।