जयपुर, राजस्थान उच्च न्यायालय की एकल पीठ के न्यायधीश मोह मद रफीक ने राजस्थान स्वैच्छिक शिक्षा सेवा नियम, २०१० के तहत राज्य सरकार में समायोजित कर्मचारी का वेतन कम करने पर राजस्थान सरकार उच्च शिक्षा विभाग, आयुक्त, कॉलेज शिक्षा व प्रबन्ध समिति, गुरू नानक खालसा कॉलेज, श्री गंगानगर से जवाब-तलब किया। उल्लेखनीय है कि श्री श्याम सुन्दर माहेश्वरी की नियुक्त दिनांक १८.०७.१९७६ को व्या याता के पद पर हुई थी तथा प्रार्थी का चयन नियमानुसार हुआ था तथा कॉलेज को अनुदान दिनांक ०१.०४.१९८३ से दिया गया। प्रार्थी को यू.जी.सी. वेतनमान में नियुक्ति तिथि से सेवा गणना कर वरिष्ठ व चयनित वेतनमान का लाभ दे दिया गया जिसका अनुमोदन शिक्षा विभाग द्वारा समय-२ पर किया गया तथा उस पर अनुदान भी दिया गया। प्रार्थी को राजस्थान स्वैच्छिक सेवा नियम, २०१० के तहत दिनांक ०१.०८.२०११ को समायोजित किया गया परन्तु राज्य सरकार के द्वारा छठे वेतन आयोग के अनुसार वेतन का स्थिरीकरण करते समय उसका वेतन कम करने के आदेश इस आधार पर दिये गये कि संस्था को अनुदान दिनांक ०१.०४.१९८३ से दिया गया। अत: राजस्थान स्वैच्छिक सेवा नियम, २०१० के तहत अनुदान प्राप्त होने की दिनांक से ही देय माना गया है। उक्त आदेश से पीडि़त होकर प्रार्थी ने अपने वकील डी.पी. शर्मा के माध्यम से रिट याचिका प्रस्तुत कर निवेदन किया कि नियम २०१० के नियम ५(1द्ब) के अनुसार प्रार्थी को समायोजन उसके द्वारा संस्था में प्राप्त वेतन पर किया जाना था परन्तु प्रार्थी का वेतन उक्त नियम का गलत अर्थ लगाते हुये किया जबकि उक्त नियम के अनुसार संस्था में प्राप्त वेतन जो कि समायोजन की दिनांक को देय होता है, के आधार पर समायोजित किया जाना चाहिये था। मामले की सुनवाई के पश्चात उक्त आदेश पारित किये गये।