प्रदेश से इस बार वरिष्ठता के साथ ही जातीय समीकरणों के लिहाज से प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है। ऐसे में वरिष्ठता के आधार पर झालावाड़ से दुष्यंत को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के पूरे आसार हैैं। दुष्यंत सिंह लगातार सासंद चुने गए हंै और इस बार भी उनकी जीत तय मानी जा रही है। अजमेर से चुनाव लड़ रहे सांवरलाल जाट का नाम भी चर्चा में है। जाट अभी राज्य सरकार में जल संसाधन मंत्री हैं और जातीय समीकरण में भी वे फिट बैठते हैं। इसी तरह युवा चेहरे के तौर पर जयपुर ग्रामीण से भाजपा प्रत्याशी कर्नल राज्यवर्धन सिंह भी जगह बनाने में कामयाब हो सकते हैं। चौथे और स्वाभाविक नाम के रूप में बीकानेर सांसद अर्जुन मेघवाल को भी मौका मिल सकता है। पूर्व आईएएस रह चुके मेघवाल काफी सक्रिय रहे हैं और सांसद के तौर पर उनका रिकार्ड काफी बेहतर रहा है। प्रदेश से प्रतिनिधित्व की बात करें तो वर्तमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को सबसे पहले केबिनेट में स्थान मिला। राजे 1998 , 2001 और 2003 में केंद्रीय मंत्री रहीं। राजे के साथ ही सीकर से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे सुभाष महरिया भी अटलबिहारी वाजपेयी नीत एनडीए सरकार में मंत्री रहे और वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल को 2003 में केबिनेट विस्तार के बाद राज्य मंत्री बनने का मौका मिला। इनके अतिरिक्त प्रदेश से जसवंत सिंह सबसे अहम मंत्रालयों का दायित्व निर्वहन करते रहे लेकिन इस बार वे भी बाड़मेर से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हंै। 1999 के लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो 2009 में राज्य से कुल 16 सांसद संसद में पहुंचे थे। उन 16 सांसदों में से इस बार भी कुछ चेहरे चुनावी मैदान में हंै। 1999 में बयाना से चुनकर संसद में पहुंचे बहादुर सिंह कोली इस बार भरतपुर से चुनाव लड़ रहे हैं वहीं, सीकर से सुभाष महरिया निर्दलीय मैदान में हैं जबकि जसवंत सिंह उस समय राज्यसभा सांसद थे।
इनके अलावा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी 1999 में झालावाड़ से चुनाव लड़ा था और संसद में पहुंची थीं। इस बार इस सीट से उनके पुत्र दुष्यंत सिंह चुनावी मैदान में हैं। 1999 में चूरू से चुनाव जीतकर रामसिंह कस्वां के पुत्र राहुल कस्वां इस बार अपने पिता की सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में हैं। राजस्थान में भाजपा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 20 सीटों का रहा है लेकिन उस समय केंद्र में यूपीए की सरकार रही थी। इस बार एक बार फिर ऐतिहासिक बढ़त लेती दिख रही भाजपा के राजस्थान के नेताओं को नमो कैबिनेट में अब तक के सबसे अधिक प्रतिनिधित्व की आस है।