सावरकर स्मृति ने वीर सावरकर के जन्म दिवस के उपलक्ष में श्स्वराज और सुराजश् विषयक गोष्ठी का आयोजन किया। भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं विधायक किरण माहेश्वरी ने अपने संदेश में कहा कि वीर सावरकर क्रांतिकारियों के प्रेरणा स्त्रोत थे। उनका जीवन चरित्र एवं कार्य असाधारण थे। उन्होने स्वराज्य को सुराज में बदलने के लिए अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया था। वे कहा करते थे कि नाव कितनी ही अच्छी क्यों नहीं हो, उसमें छेद हो तो किनारे नहीं पहूंच सकती है।
सावरकर स्मृति के अध्यक्ष डा. सत्यनारायण माहेश्वरी ने कहा कि वीर सावरकर ने ही सर्वप्रथम पूर्ण स्वराज का उदघोष किया था। वीर सावरकर का अपमान करके कांग्रेस ने राष्ट्र के साथ प्रज्ञा अपराध किया है। उन्हें गांधी जी हत्या प्रकरण में द्वेषता के कारण फंसाया गया था। वीर सावरकर कहते थे कि संकटों से भागो मत, उनका सामना करों। संकटों से भागने की प्रवृति के कारण ही सुराज आज भी एक सपना बना हुआ है।
प्रवक्ता अनिल चतुर्वेदी ने कहा कि वीर सावरकर महान क्रांतिकारी एवं उत्कृष्ट साहित्यकार थे। के.एल. समदानी ने कहा कि वीर सावरकर का व्यक्तित्व आत्मविश्वास, स्वाभिमान एवं साहस से परिपूर्ण था। आजाद उदावत ने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता के लालच में सुराज का सपना चुर-चुर कर दिया है। श्री नरेन्द्र पोरवाल, चेतन लुणदिया, डॉ. के. एल. समदाणी, गोपाल देवपुरा, अशोक गेलड़ा, सत्यनारायण चोखड़ा, योगेश पोखरना, सुभाष जोशी आदि सदस्यों नें भी वीर सावरकर के व्यक्तित्व एवं स्वराज्य के लिए उनके संघर्ष पर विचार व्यक्त किए। संगोष्ठी का संचालन राजेश शर्मा ने किया। अंत में वीर सावरकर के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रृद्धांजलि दी गई।