खनन रोकने को एकजुट ग्रामीण…लेकिन अधिकारी फिर भी साधे हैं चुप्पी
टोंक – जिले की शान बजरी अब अपनी पहचान खोने के कगार पर पहुंचने लगी हैं। जिले की चारो ओर सीमा से लगी बनास से खनन माफिया लीज पट्टा के नाम पर बेफिक्र बजरी खनन कर रहे है। जानकार सूत्रों की माने तो जिले में अधिकांष लीज धारकों को तो पर्यावरण विभाग से स्वीकृति ही नहीं मिली लेकिन फिर भी अधिकारियों की शह से खनन माफिया धड़ल्ले से बनास का सीना खोदने मेें लगे हैं। हाईकोर्ट के दिषा निर्देषों की भी खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है आलम यह है कि पुलिस,खनन और वन विभाग के अधिकारी भी सरकार की पालना में सिर झुका काम करते नजर आ रहे है।
जिला मुख्यालय की सीमा पर जहां तक बनास पर नजर डाले वहां से आने वाली मिठे पानी की खुषबू अब बीते जमाने की बात हो चली बस सुनाई दे रही है तो एक ही आवाज अब पानी में घुल चुका फ्लोराइड का मिठा जहर,सूख चुके वो कुएं जहां पहले पणिहारियों की भीड़ जुटा करती थी,हर किसानं दिखता था खुष और खुषहाल वहीं किसान अब खेत की सिंचाई के लिए बूंद-बूंद को तरसता नजर आता है। सूखते कुएं,तालाब और तलाइयों का कारण जब जलदाय विभाग के अधिकारियों और विषेषज्ञों से जानते है तो एक आवाज सुनाई दे रही है ‘बनास से बजरी का खनन हो जाएं बंद,बजरी की सुरक्षा हो जाए पुख्ता तो जिलेवासी नहीं तरसे पानी को‘ जानकार सूत्रों की माने तो जलदाय विभाग के यह अधिकारी भी कई बार प्रदेष के आला नेताओं को भी गहराते जल संकट को लेकर अपना पक्ष रख चुके है। लेकिन प्रदेष में सक्रिय कई नामी बिल्डर्स,ठेकेदार और प्रदेष में आमजन के भवन निर्माण की आड़ में मानवीयता के सब पहलू आड़ रख राजस्व से तिजोरियां भरने को बेताब नजर आ रहे है।
वैसे तो देष और प्रदेष के सभी शहरों और गांवों में सड़क मार्गों का निर्माण आमजन की सुविधाओं को लेकर शुरू किया गया था लेकिन बढ़ते यातायात दबाव और बढ़ती आमजन की आवष्यकताओं के चलते यह मार्ग धीरे-धीरे हाईवे का रूप लेते गए और आज देष और प्रदेष के कई शहरो ंमें ग्रामीण सड़कों से लेकर फोरलेन और सिक्स लेन तक यह सड़के अपना रूप ले चुकी है। लेकिन बढ़ते ओवरलोड वाहनों की तादाद ने ग्रामीण सड़कों का दम पूरी तरह निकाल दिया है।
टोंक जिले की ऐसी ही चंद ग्रामीण सड़कें जो आमजन को समस्याओं से निजात दिलाने और सुलभ यातायात उपलब्ध कराने के लिए बनाई थी वह बजरी के ओवरलोड ट्रक,ट्रैक्टर के आवागमन से चंद महीनों में कच्ची सड़कें बनती जा रही है। जिनकी षिकायतों पर भी अधिकारियों की कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। इससे अंदाजा लगाना स्वभाविक ही है कि जिले की बनास में हो रही बजरी के अवेध खनन और ओवरलोडिंग वाहनों के परिवहन पर प्रषासन की खुली छूट दी जा रही है।
Purushottam Joshi
