बीकानेर। बीकानेर मूल की रजनी हर्ष ने जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय से ‘राजस्थानी री आधुनिक कविता मंे व्यंग्य’ विषय पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। श्रीमती हर्ष ने यह शोध कार्य विश्वविद्यालय के राजस्थानी विभाग के पूर्व सहायक आचार्य डॉ जगमोहन सिंह परिहार के निर्देशन में किया है।
श्रीमती हर्ष का शोध कार्य पांच अध्याय में किया गया है। पहले अध्याय में व्यंग्य का अर्थ बताया गया है। दूसरे में स्वतंत्राता से पहले की तात्कालिक परिस्थितियों का चित्राण है। तीसरे अध्याय में स्वतंत्राता के बाद राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक परिस्थितियों को उजागर किया गया है। चौथे अध्याय में राजस्थानी के मध्यम काल में अलग-अलग भक्ति धाराओं में सगुण और निर्गुण भक्ति के भक्त एवं संतों की रचनाओं में प्रयुक्त व्यंग्य को दर्शाया गया है। पंाचवे में हिन्दी के आधुनिक व्यंग्य रचनाकारों की तुलना राजस्थानी के प्रख्यात रचनाकारों से की गई है।
शोध कार्य में रजनी ने हिन्दी के आधुनिक व्यंग्य रचनाकारों में नागार्जुन, शमशेर बहादुर सिंह, दिनकर, निराला, केदारनाथ अग्रवाल, शिवमंगल सिंह ‘सुमन’, त्रिलोचन शास्त्राी, गिरिजा कुमार माथुर, धर्मवीर भारती, सर्वेश्वर दयाल सकसेना, रधुवीर सहायक, धूमिल, माध्व कौशिक जैसे कवियों के काव्य की तुलना राजस्थानी के व्यंग्य रचनाकार गणेशीलाल व्यास उस्ताद, रेंवतदान चारण, गजानन वर्मा, नानूराम संस्कर्ता, त्रिलोक गोयल, मनुज देपावत, नागराज शर्मा, अन्नाराम सुदामा, विश्वनाथ विमलेश, बुद्धिप्रकाश पारीक, सत्यनारायण प्रभाकर, पारस अरोड़ा, सत्येन जोशी, सांवर दईया, जैसे कवियों से की है। शोध के उपसंहार में राजस्थानी व्यंग्य कार्य का मूल्यांकन प्रस्तुत किया गया है।
-मोहन थानवी