-अंबरीश कुमार- भाजपा का चाल चरित्र और चेहरा सामने आ गया है। अमित शाह पार्टी के नए अध्यक्ष बन गए हैं। नरेंद्र मोदी ने अमित शाह के भाजपा का अध्यक्ष बनाकर साफ़ कर दिया है अब पार्टी हिंदुत्व की जमीन का विस्तार करेगी। विकास का मिथक अब टूटता नजर आ रहा है। आशंका बढ़ रही है। अमित शाह अब सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं समूचे देश की अमन पसंद जनता के लिए चुनौती बन गए हैं, यह आशंका गैर भाजपा दलों की हैं। आशंका के मूल में उत्तर प्रदेश है तो आगे पूरा देश है। वे किसी राष्ट्रीय पार्टी के पहले ऐसे अध्यक्ष होंगे जिन पर हत्या/ मुठभेड़ से लेकर किसी महिला की जासूसी का आरोप चस्पां हो। नरेन्द्र मोदी ने सरकार के साथ पार्टी संगठन पर अब पूरी तरह कब्ज़ा जमा लिया है। यह सब हुआ उत्तर प्रदेश के नाम पर। उत्तर प्रदेश में मजहबी गोलबंदी की सफलता का ईनाम अमित शाह को मिल गया है। उत्तर प्रदेश में जो किया और जो काम जारी है, वह तो चुनौती बना ही हुआ था अब इसका फलक राष्ट्रीय हो गया है। अब पूर्वोत्तर से लेकर दक्षिण तक की जिम्मेदारी उनके कंधो पर आ गई है।
लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के निर्देश पर गुजरात के दागी नेता अमित शाह को जब उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाकर भेजा था तभी कई दलों ने आशंका जताई थी कि अब उत्तर प्रदेश में दंगों की जमीन तैयार हो जाएगी। और यह आशंका मुजफ्फरनगर से सच साबित हुई। बीच चुनाव में अमित शाह ने शामली में वोट से हिसाब बराबर करने का जब एलान किया तो चुनाव आयोग समेत सभी इनकी इस राजनैतिक प्रतिभा के कायल हो गए। उत्तर प्रदेश में पश्चिम से से जिस मजहबी गोलबंदी की शुरुआत अमित शाह के आने के बाद हुई उसका असर पूर्वांचल तक गया। जमीन अमित शाह ने तैयार की तो मोदी ने नर्म हिंदुत्व की फसल को ढंग से काटा। लोकसभा चुनाव साफ़-साफ़ नर्म हिंदुत्व के अप्रत्यक्ष एजंडा पर लड़ा गया था जिसको खाद पानी आम आदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल के उटपटांग फैसलों से मिला और उनसे मोहभंग होने के बाद नौजवानों का बड़ा तबका मोदी के साथ चला गया। खैर चुनाव बीत गया तो लोगों ने अच्छे दिनों की उम्मीद लगाई। पर जैसा कि हमेशा होता है जनता का मोहभंग जल्दी होता है, फिर वही हो रहा है। मोदी को कुछ लोग जादू की छड़ी मान रहे थे अब वे निराश हो रहे हैं। आलू प्याज जैसी चीजों से इतने बड़े बदलाव का सपना टूट रहा है। सत्तारूढ़ दल को समझ आ गया है कि अब हिंदुत्व से ही आगे की राजनीति मजबूत होगी किसी विकास से नहीं। इसलिए हिंदुत्व की जमीन का विस्तार जरूरी है और अमित शाह इस जमीन के विशेषज्ञ माने जा रहे हैं। वही शाह जिन पर इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में भी संलिप्तता का आरोप लगा था। एक खबर में कहा गया है कि जुलाई (2013) में सीबीआई द्वारा अदालत में पेश की गई चार्जशीट में गुजरात के 7 पुलिस अफसरों के नाम शामिल किए गए थे। इन पर फर्जी मुठभेड़ के साथ यह भी आरोप लगाया गया था कि इशरत व उसके तीन साथियों की हत्या के बाद इन्होंने ही कार में एके-47 रायफल रख दी थी, जिससे कि इन्हें आतंकी बताया जा सके। चार्जशीट में यह भी कहा गया था कि इस रायफल की व्यवस्था राजेंद्र कुमार ने की थी और इसकी जानकारी अमित शाह को थी। तुलसीराम प्रजापति फर्जी मुठभेड़ समेत ऐसे कई और मामले अमित शाह पर हैं। अब ये अमित शाह चाल चरित्र और चेहरा की बात करने वाली पार्टी के मुखिया बन गए हैं।
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Kya dehshat hai shah ki…..log(owl baba lolipop wale) sansad mai khabar sun ke so jaate hai….hahahahaha