कलष यात्रा के साथ श्रीमद्भागवत कथा का शुभारम्भ

Photo Manish 001अजमेर। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी लक्ष्मीनारायण मंदिर हाथीभाटा, अजमेर में वृंदावन के विख्यात कथावाचक भागवत भ्रमर आचार्य मयंक मनीष की समधुर वाणी द्वारा श्रीमद्भागवत कथा अनुष्ठान का शुभारम्भ हुआ। इसके तहत प्रातः 9.00 बजे ब्रह्मपुरी स्थित श्री कृष्ण सदन से श्रीमद्भागवत जी, कलष यात्रा आरम्भ हुई जो विभिन्न मार्गों से होती हुई हाथी भाटा से लक्ष्मीनारायण मंदिर पहुंची। शोभायात्रा के मंदिर में पहुंचन के साथ ही श्रीमद्भागवत जी का पूजन एवं कथा का आरम्भ हुआ। कथा कहते हुए भागवद् भ्रमर आचार्य मयंक मनीष जी ने कहा कि – गृहस्थाश्रम में रहता हुआ भी मनुष्य त्याग के द्वारा परमात्मा को प्राप्त कर सकता है। परमात्मा को प्राप्त करने के लिये त्याग ही मनुष्य साधन है। अत एव सात श्रेणियों में विभक्त करके त्याग के लक्षण निम्न प्रकार है- 1. निषिद्ध कर्मों का सर्वथा त्याग – चोरी, व्यभिचार, झूठ, कपट, छल, जबरदस्ती, हिंसा, अभक्ष्य भोजन और प्रमाद आदि शास्त्र विरूद्ध नीच कर्मों को मन, वाणी और शरीर से किसी प्रकार भी न करना, यह पहली श्रेणी का त्याग है। 2. काम्य कर्मों का त्याग – स्त्री, पुत्र और धन आदि प्रिय वस्तुओं की प्राप्ति के उद्देष्य से एवं रोग-संकटादि की निवृत्ति के उद्देष्य से किये जाने वाले यज्ञ, दान, तप, और उपासनादि सकाम कर्मों को अपने स्वार्थ के लिये न करना, यह दूसरी श्रेणी का त्याग है। श्रीमद्भागवत जी के विषय में उन्होंने कहा कि कई जन्मों के पुण्य जब संकलित होते हैं और जागृत होते हैं तब भागवत कराने का विचार मन में आता है। और तभी भागवत कथा सुनने का सौभाग्य सुलभ होता है। आज की कथा में भागवत कथा का माहत्म्य भक्ति ज्ञान वैराग्य का वर्णन धुन्धकारी , गोकरण का वर्णन सुखदेव भगवान का जन्म एवं तपस्या के लिए प्रस्थान पाण्डव द्वारा महल त्याग , परीक्षित का राज्याभिषेक एवं सुखदेव स्वामी का पूजन की कथा का वर्णन किया गया। शोभायात्रा का मार्ग में जगह-जगह पुष्प वर्षा एवं आरतियों से स्वागत किया गया।

नारायण स्वरूप गर्ग
वासुदेव मित्तल
सतीष अग्रवाल
मो. 8890379007

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