लखावत के प्राधिकरण अध्यक्ष बनने के साथ ही अनिता का चांस कम हो गया था

a bhadel 11एक पार्षद पद से राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाली श्रीमती अनिता भदेल के भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष बनने के साथ ही उनका कद काफी बढ़ गया है। संगठन में अब वे अहम भूमिका में आ गई हैं। हालांकि इससे पहले वे प्रदेश सचिव भी रही हैं, मगर उपाध्यक्ष पद पर पहुंचने के साथ ही उनका कद प्रदेश स्तरीय नेताओं में शुमार हो गया है। इसकी वजह न केवल उनका लगातार तीन बार विधायक बनना है, अपितु सदैव सक्रिय रहना भी है। हां, इतना जरूर है कि एक ओर जहां मंत्रीमंडल का विस्तार होने को है और उनके भी मंत्री बनने की संभावना है, यकायक प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए जाने के साथ वह कम हो गई है। हालांकि राजनीति में कब क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता, मगर फिलवक्त ऐसा प्रतीत होता है कि शायद अब उनको चांस न मिले।
असल में उनका चांस तभी कुछ कम हो गया था, जब कि वरिष्ठ भाजपा नेता औंकार सिंह लखावत को राजस्थान धरोहर प्रोन्नति प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया, जो कि राज्य मंत्री के समकक्ष है। चूंकि अजमेर में मुख्य रूप से पार्टी लखावत व विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी गुट में बंटी हुई है, इस कारण तभी लग रहा था कि गुटों में संतुलन बनाए रखने के लिए अनिता भदेल की बजाय देवनानी का चांस लग सकता है। वैसे भी एक व्यक्ति एक पद की नीति के नाते अनिता का चांस अब कम हो गया है, हालांकि जब तब देवनानी मंत्री न बन जाएं, तब तक कुछ भी नहीं कहा जा सकता। ऐन वक्त पर क्या गणित बनता है, कुछ कहा नहीं जा सकता। हालांकि जानकार सूत्रों का कहना है कि देवनानी का मंत्री बनना तय सा है, मगर चूंकि सिंधी समाज से श्रीचंद कृपलानी व ज्ञानदेव आहूजा भी विधायक बन कर आए हैं, इस कारण मुख्यमंत्री वसुंधरा के पास विकल्प हैं। मगर चूंकि अनिता को संगठन में ले लिया गया है और अजमेर में देवनानी के अतिरिक्त कोई प्रबल दावेदार नहीं है, इस कारण कम से कम आधी बाधा तो उनकी दूर हो गई है। वैसे जानकारी ये भी है कि किशनगढ़ विधायक भागीरथ चौधरी, मसूदा विधायक श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा व केकड़ी विधायक शत्रुघ्न गौतम भी मंत्री बनने के लिए एडी चोटी का जोर लगा रहे हैं। एक फार्मूला ये भी हो सकता है कि इनमें से किसी को मंत्री बना कर अजमेर का कोटा पूरा कर दिया जाए और देवनानी की जगह कृपलानी या आहूजा को मंत्रीमंडल में ले लिया जाए। ये एक कयास मात्र है, संभावना देवनानी के ही मंत्री बनने की है, क्योंकि उनके लिए आरएसएस ने पूरा जोर लगा रखा है। उनकी गिनती संघ लॉबी के प्रमुख कर्ता-धर्ताओं में होती है। इस कारण शायद उनको नजरअंदाज किया जाना वसुंधरा के लिए कुछ कठिन होगा। इसे दूसरे रूप में यूं कहा जा रहा है कि देवनानी संगठन में नहीं लिए गए हैं, अर्थात यह उनका मंत्रिमंडल में स्थान पक्का होने का संकेत है। बहरहाल, देखते क्या होता है, जल्द सामने आ जाएगा।

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