बिसला पाल का संरक्षण एवं संवर्धन

अजमेर। बिसला पाल संरक्षण एवं संवर्धन समिति द्वारा आज एक प्रतिनिधी मण्डल श्री कलक्टर, सीटी मजिस्टेªट, अजमेर, सचिव अजमेर विकास प्रधिकरण मुख्य कार्यकारी अधिकारी नगर निगम से मिला और उन्होंने अपनी बात रखते हुए पत्र में लिखा कि अजमेर के शासक बिसल देव के शासन काल (1152-1163 ई.) में निर्मित किया गया था। इसका उल्लेख पृथ्वीराज रासो: महाकवि चन्द्रवरदायी में भी मिलता है। बिसला पाल में आनासागर का आॅवर फ्लो, तारागढ़ पहाड़ी के पश्चिमी और उत्तरी ढ़लाव, इन्दर कोट से होता हुआ वर्षा का पानी आता है।
कर्नल टाॅड़ ने अपनी पुस्तक ‘‘ऐनल्स् एण्ड एन्टीक्यिटी आॅफ राजस्थान’’ में भी हवाला दिया गया है और इसकी परिधी लगभग 8 मील की है। इस सरोवर पर पूर्व में गेट लगा हुआ था, जिसे असमाजिक तत्वों, भूमाफियाओं ने चोरी कर लिया। इस पर कोई प्रभावी कार्यवाही भूमाफियाओं के दवाब में नहीं की गई।
माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय, राजस्थान सरकार के आदेशों एवं अब्दुल रहमान बनाम सरकार के मुकदमें की पालना में प्रशासन ने बिसला पाल को चिन्हित कर नो कन्स्ट्रेक्शन जोन राजस्थान राजपत्र विशेषांक दिनांक 3 जनवरी 2014 मंे प्रकाशित कर किया गया है। यह राज्य की महत्वपूर्ण धरोहर है और इसको खुर्द-बुर्द करने का कार्य तेजी से किया जा रहा है। इस सरोवर को समाप्त करने के लिए करोड़ों रूपये के वारे-न्यारे किये जा रहे है। सरकार, प्रशासन एवं हर स्तर पर गैर कानूनी दवाब बनाने का कार्य तेजी से चल रहा है ताकि इस सरोवर को तुरन्त-फुरन्त सौदेबाजी कर बेचा जा सके और अवैध निर्माण कराकर शासन प्रशासन पर दवाब बना सके।
बिसला पाल सरोवर के पानी की निकासी निरन्तर होती रहे इसलिए सभी प्रकार के अवैधानिक कार्य किये जा रहे है। उक्त पानी की निकासी से बिसला पाल के आगे के हिस्से में बसी हुई लगभग 16 बस्तीयां पानी में डूबकर बर्बाद हो रही है, उनका जीवन नरकीय हो रहा है। बिसला पाल में पानी को रोका जाना अतिआवश्यक है ताकि सरोवर बच सके, माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की पालना हो सके और आगेे की 16 बस्तीयों को डूबने से बचाया जा सके।
हमारा आपसे निवेदन है कि शासन प्रशासन किसी अवैध दवाब में न आये और निशपक्ष रूप से अपने कत्र्तव्य का पालन करें।
दलजीत सिंह                                 शैलेन्द्र कुमार
अध्यक्ष                                          सचिव
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