
अब सरकारी अधिकारी, कर्मचारी बेखौफ होकर समझने लगा कि वह कुछ भी करें उसका कुछ नहीं बिगडऩे वाला। परन्तु पत्रकार का काम है कि वह सच को दिखाये। पिछले दिनों पीथमपुर में डॉ. बबीता नंदूरकर की लापरवाही को दिखाने और लिखने पर पत्रकारों को धमकी मिली। इतना ही नहीं पत्रकारों पर प्रकरण दर्ज कराने के लिये दबाव बनाया। प्रकरण दर्ज करने के लिये भाजपा के नेता, अधिकारियों का सहारा लिया जा रहा है। जिन पत्रकारों पर प्रकरण दर्ज कराने का प्रयास किया जा रहा है उनमें सुनील ठौसरे, राकेश खण्डेलवाल और बंसल टी.व्ही. के कामिल मेहर है। धा जिले के पीथमपुर के शासकीय चिकित्सालय की दुर्दशा पर पत्रिकाा के संवाददाता हरीश कुमार ने कई बार समाचार लिखे और पत्रिका में प्रकाशित हुये इस पर भी अस्पताल प्रशासन पर कोई असर नहीं हुआ।
18 सितम्बर रात्रि 7 बजे पत्रकारों को खबर मिली कि अस्पताल से एक महिला प्रसव के लिये गई परन्तु अस्पताल में चिकित्सक नहीं थे। इसलिये डॉक्टर बबीता ने महिला का इलाज न करते हुये पत्रकारों की शिकायत करने के लिये थाने पहुंच गई। तीनों पत्रकारों के खिलाफ आवेदन दिया। डॉक्टर बबीता के पति उनका पूरा साथ दे रहे है। डॉक्टर बबीता ने अन्य दो चिकित्सकों के साथ पत्रकारों के खिलाफ धरना दिया। जो नियमों के विरुद्ध था। धरना देने से पूर्व डॉक्टर बबीता को प्रशासन से स्वीकृति लेनी थी।
जानकारी यह भी है कि डॉक्टर बबीता को हेडक्वाटर याने पीथमपुर में रहना चाहिये। उनको शासकीय आवास मिला हुआ है। परन्तु सूत्र कहते हैं कि डॉक्टर बबीता अमूमन अपने कार्यस्थल से दूर रहती है। इनका निवास इंदौर में है। संतोष गंगेले -प्रांतीय अध्यक्ष गणेश शंकर विधार्थी प्रेस क्लब ने इस घटना की निंदा करते हुए सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग की है।
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